2025-01-31 17:18:16
हिसार / निकटवर्ती गांव खरड़ में स्थित स्वामी दीप्तानंद अवधूत आश्रम खरड़ अलिपुर धाम हिसार सद्गुरु बंदी छोड़ हरिहरानंद जी महाराज के समाधि स्थल पर आज उनके 10वें निवार्ण महोत्सव के अवसर पर आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में महामंडलेश्वर महाराज श्री कृष्णानंद जी ने प्रवचन करते हुए बताया कि हमें सांस सांस में नाम जपना चाहिए क्योंकि प्रभु नाम ही विषय विकारों से बचाकर हमें निर्भय आनंद की प्राप्ति दिला सकते हैं। कबीर साहेब हमें बताते हैं गुरु बिन माला फेरते,गुरु बिन देते दान। गुरु बिन दान हराम है, जा पूछो वेद पुराण।। आपने किसी से भी नाम ले रखा है, उसी नाम का सिमरन करते रहे। गुरु बिन ज्ञान नहीं होने का, चाहे पढ़ लो वेद पुराण। गुरु मिल जाए निज देश के तो, हो जाए कल्याण।। गुरु के प्रति आस्था ही आपको संसार सागर से पार कर सकती हैं। एकलव्य को गुरु द्रोणाचार्य के प्रति श्रद्धा और समर्पण भाव ने ही कुशल धनुर्धर बना दिया। गुरु के बनाने से कोई चेला नहीं बनता, शिष्य के मानने से गुरु बनता है। आज समाज में युवा नशे में लिप्त हो रहे हैं। संस्कार बिगड़ते जा रहे हैं। जिसके लिए हम अपनी प्राचीन संस्कृति के साथ बच्चों को जोड़ने के लिए सभी मिलकर प्रयास करेंगे तो उनकी संगत को सुधार कर ही ऐसा संभव हो पाएगा। एक नशा करने वाला सैकड़ो लोगों का नशा करने वाला बना सकता है, तो आप भी सैकड़ो हजारों लोगों को नशे से मुक्त करने में अपना सहयोग दे सकते हैं। हम समाज के सभी बुद्धि जीवियों से आवाह्न करते हैं कि आप सभी मिलकर एक सुंदर स्वस्थ समाज की स्थापना करने में अपना सहयोग करें।इसके अलावा सत्संग में सभी संत महापुरुषों ने अपनी वाणी द्वारा साथ संगत को निहाल किया।आज के कार्यक्रम से पूर्व विधिवत रूप से आश्रम में 108 हवन यज्ञ का आयोजन व 108 अखण्ड पाठ का आयोजन जारी रहा।इसके अलावा भजन मंडली ने सुंदर भजनों से उपस्थित श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया। इस अवसर पर संत बिजेंदर दास हांसी, साध्वी सुजाता हिसार, योगी राजनाथ, स्वामी प्रकाश नंद, स्वामी करुणानंद महाराज, स्वामी सतबीरानंद महाराज, स्वामी दिव्यानंद महाराज, स्वामी वेद मुनि जी, स्वामी धर्मानंद ढाणी कुतुबपुर, साध्वी आलेख दास, स्वामी सुनील दास, अनिल प्रकाश आचार्य देवगिरी महाराज स्वामी रजनीश जी पंजाब, स्वामी हरदीप पुरी जी, परमानंद महाराज, संत कबीर कृष्ण, स्वामी रामानंद महाराज स्वामी कृष्णानंद, स्वामी युगल किशोर स्वामी कृष्णानंद जी, स्वामी जीतवानंद जी,स्वामी अमृतानंद स्वामी जितेंद्रानंद जी, स्वामी रामानंद जी, स्वामी संजय ब्रह्मचारी जी स्वामी सतवीरानंद जी सहित हजारों श्रद्धालु व संत महात्मा उपस्थित थे।