2025-03-12 19:18:07
विनोद कुमार सिंह ,स्वतंत्र पत्रकार भारत को पर्व त्योहारों का देश कहा जाता है।पर्व की इस श्रंखला में होली का महत्वपूर्ण स्थान है।होली को प्रेम-मित्रता का त्योहार कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि होली के दिन सभी लोग आपसी भेद भाव भूलकर एक दूसरे के गले मिलते है।तथा रंग - गुलाल लगा कर एक दूसरे के लिए प्रार्थना करते है।आप को बता दे कि होली मनानें की पीछे कई महत्वपूर्ण रहस्यमय कहानी बताई जाती है। जिसका उल्लेख पौराणिक पुराणों में मिलती है।होलिका दहन के पीछे कई रहस्य बताये जाते है।एक मान्यता के अनुसार होली पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिन्दु पंचांग के अनुसार इस वर्ष होलिका दहन का शुभ मुर्हतगुरुवार, 13 मार्च की रात्रि 11:26 बजे से रात्रि 12:30 बजे तक 14 मार्च तक बताया गया है।क्योंकि इस दिन भद्रा काल और होलिका दहन 2025 में होलिका दहन के दिन भद्रा काल है, और इस प्रकार लोगों के पास एक निश्चित समय होता है जब होलिका दहन किया जाता है।हिदुओ मान्यताओं के अनुसार भद्रा काल एक अशुभ समय है जब कोई भी धार्मिक अनुष्ठान नहीं किया जाना चाहिए,होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाती है,इसलिए इस बर्ष 14 मार्च को होली है।सर्व विदित रहे कि होलिका (दहन) .से जुड़ी कई पौराणिक,आध्यात्मिक और सामाजिक मान्यता हैं कि राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप बहुत ही घमंडी था।जिन्होने अपने राज्य के लोगों को भगवान की प्रार्थना करने से रोक दिया था।उसे अमर होने की बहुत तीव्र इच्छा थी।उन्होंने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या करना शुरू कर दिया।एक दिन ब्रह्मा उसके सामने प्रकट हुए और उसे पाँच विशेष शक्तियाँ प्रदान कीं।ब्रह्मा जी ने हिरण्यकश्यप को निम्नलिखित पाँच वरदान दिए: न तो कोई मनुष्य और न ही कोई जानवर उसे मार पाएगा,न तो वह दरवाजे के अंदर मारा जाएगा और न ही दरवाजे के बाहर,न तो वह दिन में मारा जाएगा और न ही रात में,न तो वह किसी अस्त्र से मारा जाएगा और न ही किसी शास्त्र से,न ही वह जमीन पर मारा जाएगा,न ही पानी में और न ही हवा में।इस वरदान को पाने के बाद,राक्षस ने खुद को सर्वशक्तिमान से कम नहीं समझा। विधि का विधान देखे कि हिरणाकश्यप शैतान के बेटे प्रहलाद भगवान विष्णु के भक्त पैदा हुए। कालान्तर प्रहलाद की भक्ति हिरणाकश्यप की आँखों में काँटा बन गई।वह बहुत क्रोधित हो गया और उसने अपने बेटे को मारने का फैसला किया।कहा जाता है कि हिरणाकश्यप की बहन,होलिका को एक बार ब्रह्मा ने आशीर्वाद दिया था कि उसे अपने जीवन में कभी भी कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जाएगा।उसके पास एक ऐसी चादर थी,जो उसकी रक्षा करता था।उसके भाई ने प्रहलाद को मारने के लिए आग में बैठने के लिए कहा।हालाँकि,जैसे ही आग बढ़ी, होलिका की पवित्र चादर उड़कर प्रह्लाद को ढकने लगी। इस तरह प्रभु भक्त प्रहलाद बच गया व होलिका आग में जलकर मर गई। हिन्दुग्रंथों के अनुसार हिरण्यकश्यप निराश हो गया और उन्होंने भगवान विष्णु के भगत प्रहलाद को खुद ही मारने की कोशिश की। प्रहलाद को एक खंभे से बाँध दिया और उसे चुनौती दी कि वह उसे बचाने के लिए अपने भगवान को पुकारे। प्रह्लाद ने उत्तर दिया कि भगवान सर्वव्यापी हैं और खंभे में भी मौजूद हैं। हिरण्यकश्यप राक्षस की तरह हँसा लेकिन उसकी हँसी जल्द ही चीख में बदल गई जब नरसिंह (आधा शेर, आधा इंसान) के रूप में भगवान विष्णु खंभे से बाहर आए। ब्रह्मा के वरदान का प्रतिकार करते हुए। हिन्दु धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप को दरवाजे पर ही पकड़ लिया और अपने बड़े और तीखे नाखूनों से उसे मार डाला।जब उनकी मृत्यु हुई, तब संध्या न दिन, न रात,द्वार न अंदर,न बाहर, गोद न भूमि,न जल, न वायु, पंजे न अस्त्र, न शास्त्र और नरसिंह न मनुष्य,न पशु द्वारा मारे गए *होलिका दहन महत्व यह है कि दुर्गुण ,काम, क्रोध,अहंकार,मोह, लोभ और ईर्ष्या रूपी राक्षस का नाश केवल शुभ संगम पर होता है, जो न तो कलियुग है और न ही स्वर्ण युग (सतयुग)।भारत के कुछ हिस्सों में आम है जहाँ होली को फगुवा भी कहा जाता है।फगुवा से एक दिन पहले पूतना को जलाकर जश्न मनाया जाता है।हिंदू पौराणिक कथाओं एवं ग्रंथों के अनुसार हिमालय की पुत्री देवी पार्वती भगवान शिव की ओर आकर्षित हुईं और उनसे विवाह करना चाहती थीं ,लेकिन शिव गहन ध्यान में लीन थे।भगवान शिव और देवी पार्वती का दिव्य विवाह एक ऐसे बच्चे के जन्म के लिए महत्वपूर्ण है जो भगवान ब्रह्मा देव द्वारा दिए गए वरदान के अनुसार केवल तारकासुर को मार सकता है।भगवान शिव को उनके ध्यान से जगाने के लिए सभी देवी-देवता कामदेव की मदद लेने गए। हालाँकि कामदेव को शिव के ध्यान को भंग करने का डर था, लेकिन स्थिति के महत्व को जानते हुए उन्होंने तीनों लोकों की भलाई के लिए ऐसा करने पर सहमति जताई। भगवान कामदेव ने एक पुष्प प्रेम बाण छोड़ा जिसने महादेव को जगा दिया,लेकिन उनके ध्यान को भंग करने के लिए क्रोधित होकर,उन्होंने अपनी तीसरी आँख खोली और कामदेव को भस्म कर दिया। खैर होली के इस पवित्र पावन पर्व पर आप सभी एक विन्रम विनीत है आप अपनों के संग सभी वैर भाव भुला कर प्रेम भाई चारे व सौहार्य पूर्व रंगो के त्योहार को मनाया । आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं।