2025-03-09 18:30:55
कहते हैं इंसान के मरने के बाद बस उनकी यादें ही रह जाती हैं। मगर कुछ लोग ऐसे अविरल होते हैं, जो की मरने से पहले अपने अंगों को दान करने की इच्छा जता देते हैं। फिर भले वो इंसान रहे या न रहे, उनके शरीर का अंग किसी जरूरतमंद के काम आ जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ पलवल के जवाहर नगर में, जहां दो बुजुर्गों महेन्द्र सेठी व सुभाष चन्द और फरीदाबाद के सेक्टर-22 के निवासी विजेन्द्र के स्वर्गवास के बाद उनके नेत्रदान किए गए। हम बात कर रहे हैं महेन्द्र , सुभाष और विजेन्द्र की, जो भले ही अब इस दुनिया में नही रहे। मगर अब उनकी आंखें इस दुनिया को देखेंगी। स्वर्गवास के बाद महेन्द्र सेठी, सुभाष के परिजनों शान्तु सेठी, मयंक, स्वाति, दीक्षा, जोगिन्द्र सेठी, एसपी सेठी, उषा, पुनम छाबड़ा, पुजा रखीजा, राजकुमार, तृप्ति, वारिश शर्मा, बंशी लाल ने उनके नेत्र पलवल डोनर्स क्लब ज्योतिपुंज की मदद से नागरिक अस्पताल पलवल, डा. श्राफ चेरिटेबल नेत्र हाॅस्पिटल व शक्ति नेत्र बैंक फरीदाबाद की नेत्रदान टीम को करवा दिए। पलवल डोनर्स क्लब ज्योतिपुँज के संयोजक आर्यवीर लायन विकास मित्तल ने बताया कि एक व्यक्ति के द्वारा किए गए नेत्रदान से कम से कम दो लोगों को नेत्र ज्योति दी जा सकती हैं। कमाए हुए धन को दान करने में तो एक बार इंसान संकोच करता है, लेकिन रक्तदान, नेत्रदान, अंगदान करने के लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आना चाहिए। हर इंसान चाहता है कि जीवन मे ऐसा कुछ करे कि मरने के बाद भी लोग उसे याद करे। लेकिन इसके लिए कुछ असाधारण काम जैसे रक्तदान, अंगदान, नेत्रदान आदि करने होते है। जिंदगी यह मौका हर किसी को नहीं देती। लेकिन अंतिम समय में इंसान के मन में यह बात जरूर आती है कि काश, मैं भी कुछ असाधारण काम, कुछ अच्छे काम कर पाता/या कर पाती ताकि मेरा अगला जन्म सुधर जाता। इन नेत्रदानों में पलवल डोनर्स क्लब की सहसंयोजक अल्पना मित्तल, बंशी लाल, तीर्थ गाबा, जोगिन्द्र सेठी का विशेष सहयोग रहा। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने नेत्रदानी परिवार और पलवल डोनर्स क्लब ज्योतिपुँज का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि नेत्रदान महादान है। इससे बड़ा कोई दान नहीं है। हम इससे किसी दृष्टिहीन के अँधेरे जीवन में रोशनी भर सकते हैं। इस अवसर पर नागरिक अस्पताल के नेत्रबैंक की टीम के डा. नेहा, नेत्रदान काउंसलर दर्शन, ओए श्रषिराज, जसवंत धर्मेन्द्र आदि उपस्थित थे