संस्कृत से होगा परमवैभव राष्ट्र का सपना साकार नरेंद्र

जीजेयू में अगले सत्र से संस्कृत विभाग शुरू होगा: प्रो. बिश्नोई
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2025-01-16 17:26:55

हिसार : गुरुकुल आर्यनगर में संस्कृत भारती के दस दिवसीय भाषा प्रबोधन वर्ग का बुधवार को भारत माता के पूजन के साथ समापन हो गया। समापन सत्र में मुख्य वक्ता संस्कृत भारती के उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री नरेंद्र कुमार रहे। मुख्य अतिथि के रूप में कैबिनेट मिनिस्टर रणबीर गंगवा के प्रतिनिधि के रूप में उनके पुत्र संजीव गंगवा पहुंचे। अध्यक्षता गुरुकुल संचालन समिति के मंत्री एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने की। सारस्वत अतिथि गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ.नरसीराम बिश्नोई ने की। विशिष्ट अतिथि की भूमिका नलवा के विधायक रणधीर पनिहार ने निभाई। समापन सत्र में शिक्षार्थियों ने संस्कृत के कार्यक्रमों से रंग जमा दिया। मुख्य वक्ता नरेंद्र कुमार ने अपने संबोधन के केंद्र में संस्कृत और संस्कृति को रखा। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश में संस्कृत के प्रति सकारात्मक माहौल है। हरियाणा में संस्कृत को द्वितीय भाषा का दर्जा दिलाना है तो एक एक कार्यकर्ता का पांच- पांच संस्कृत कार्यकर्ता को तैयार करना होगा। इससे न केवल भारतीय संस्कृति के संवाहक गुरुकुलों में छात्र संख्या का विस्तार होगा। वहीं आने वाले समय में प्रदेश के महाविद्यालयों में संस्कृत के पदों में बढ़ौतरी होगी। उन्होंने कहा कि संस्कृत को केवल धोती पोथी, चोटी तक न बांधे, समय के साथ आधुनिक माहौल को स्वीकार कर इसे प्रसारित करने का कार्य करें। शुरुआत घर से करें। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बाद हरियाणा में संस्कृत को द्वितीय भाषा का दर्जा मिल सकता है। पर इसके लिए स्वयं को इसके लिए आत्मसात करना होगा। साफ है जन जन में संस्कृत का प्रसार होगा तो संस्कृति का विस्तार होगा। और संस्कृत का निर्बाध विस्तार हुआ तो भारत का परमवैभवम् राष्ट्र: बनना तय है। सारस्वत अतिथि गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ.नरसीराम बिश्नोई ने मंच से संस्कृत भारती के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हरियाणा गीता की भूमि है। सबसे ज्यादा गीता का प्रसार यही है। सही अर्थों में यदि गीता को स्वीकारना है तो संस्कृत को पहले स्वीकारना होगा। उन्होंने कहा कि अगले सत्र से जीजेयू में संस्कृत विभाग की शुरुआत कर दी जायेगी। इस बारे में उच्चतर विभाग और सरकार के बीच संस्कृत के लिए मजबूत कड़ी बनने का कार्य करेंगे। संजीव गंगवा ने कहा कि संस्कृत देवभाषा है। इसकी गरिमा और महत्ता को बनाए रखना हम सब की जिम्मेदारी है। संस्कृत भारती के इस तरह के आयोजन हम सब को प्रेरित करने वाले हैं। नलवा के विधायक रणधीर पनिहार ने कहा कि संस्कृत की महत्ता का कोई तोड़ नहीं है। सभी संस्कृत को आगे बढ़ाने का संकल्प लें। अपने जीवन में धारण करें।। यदि ऐसा संकल्प होगा तो समाज और राष्ट्र में परिवर्तन अवश्य होगा। गुरुकुल आर्यनगर संचालन समिति के मंत्री एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि गुरुकुल संस्कृत भारती के इस कार्य को आगे बढ़ाने में भविष्य में भी इसी तरह सहयोगी बना रहेगा। उन्होंने संस्कृत संभाषण के शिविरों के जारी रखने को आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि संस्कृत आयेगी तो संस्कार तो अपने आप ही आ जायेंगे। प्रांत कोष प्रमुख डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि शिविर में 80 से अधिक शिक्षार्थियों और प्रबंधकों ने संस्कृत संभाषण में कुशलता प्राप्त की। दस दिन तक यहां पूर्णतया संस्कृत वातावरण बना रहा। इस अवसर पर गुरुकुल संचालन समिति अध्यक्ष रामकुमार आर्य, वर्गाधिकारी दलीप सिंह, संस्कृत भारती के प्रांत कोष प्रमुख डा.सुरेश कुमार, विभाग संयोजक डॉ.शैलेंद्र सिंह, विभाग सह संयोजक सुशील शास्त्री, विभाग संगठन मंत्री नवीन कौशल,जिला मंत्री राजकुमार, शिक्षण प्रमुख देवांश कृष्ण, सुरेश कुमार, सुनील फतेहाबाद,रजनी,सोमा, सुलेंद्र डीपी, जयपाल शास्त्री, डॉ.राजबीर, सोमबीर भिवानी, सतपाल शर्मा, सुनील फतेहाबाद,रजनी,सोमा, सुलेंद्र डीपी, डॉ.राजबीर, संदीप ढाका,आचार्य रामस्वरूप शास्त्री, आचार्य मान सिंह पाठक, आचार्य देवदत्त आदि मौजूद रहे।

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