वह देश की अखंडता के लिए एक चुनौती भी हो सकती है। उदयनिधि स्टालिन का ट्वीट आया है।

उनके कल के दिए गए वक्तव्य पर उन्होंने सफाई दी है
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2023-09-04 14:17:40

है, वह देश की अखंडता के लिए एक चुनौती भी हो सकती है। उदयनिधि स्टालिन का ट्वीट आया है। उनके कल के दिए गए वक्तव्य पर उन्होंने सफाई दी है। उसमें उन्होंने पेरियार, अन्ना, कलैग्नार का जिक्र किया है। उन्होंने कही नहीं कहा है कि हम आंबेडकर के भी फॉलोवर हैं। क्योंकि उनको पता है कि अंबेडकर के द्वारा बनाए गए संविधान में ही धर्मनिरपेक्षता को भी शामिल किया गया है। तो यह एक बहुत बड़ी निशानदेही है।

दूसरी बात, इन प्रदेशों में आर्य बनाम द्रविड़ का जो नैरेटिव रहा है, वो बहुत ही मुखर रहा है। जो तूफान, जो बवंडर शांत है, उदयनिधि मारन का यह बयान उस को हवा देने का काम कर रहा है। उनकी राजनीति देश की और समाज की अखंडता के लिए चुनौती है। जिस क्षेत्र से उदयनिधि स्टालिन, उनके पिता और उनके दादाजी आते हैं, वहां पर भी दलितों के उत्पीड़न के समाचार आए दिन आते रहते हैं। लगता है मुश्किल से छह महीने गुजरे होंगे। मदुरई जिले के कुछ क्षेत्रों में दलितों के पेयजल में मलमूत्र या कुछ इस तरह के पदार्थ प्रवाहित कर दिए गए थे जिससे वहां के दलित बस्ती में बहुत सारे लोगों को स्वास्थ्य हानि हुई थी। जिस भेदभाव की बात कर रहे हैं, उस भेदभाव को एड्रेस करने के बजाय वह एक नया नैरेटिव गढ़ना चाहते हैं।

उनका स्पष्ट मंतव्य है कि तमिलनाडु की धरती पर जो बाकी भारत है, उसके कल्चर को स्वीकार नहीं करते। वहां पर ये भी चुनौती है कि वो तमिलनाडु को बाकी भारत से कैसे अलग कर सकते हैं। तमिलनाडु में सनातन के इतने बड़े-बड़े चिन्ह मौजूद हैं। अब रामेश्वरम का क्या करेंगे, मदुरई का क्या करेंगे, महाबलीपुरम का क्या करेंगे। ये एक विभाजनकारी बयान है और उससे बहुत हद तक उनकी राजनीति सधती है। उससे क्या होगा कि जो अन्नाद्रमुक है, जो उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी हो रही थी, उनके लिए ये चुनौती पैदा कर रहे हैं। दरअसल हो सकता है कि इससे भाजपा को तमिलनाडु में भी कुछ फायदा हो जाए। बहुत संभव है कि कन्याकुमारी और रामेश्वरम की सीट भाजपा निकाल ले जाए।

अब सवाल यह है कि क्या इस घटना से I. N. D. I. A. गठबंधन बना रहेगा या टूट जायेगा ? पर लगता है ये अलायन्स बना रहेगा। वैसे भी जो अलायन्स पार्टनर हैं उनको तमिलनाडु में कुछ मिलने वाला है नहीं। यदि ये अलायन्स में रहते हैं संख्याबल की मजबूती इनको मिलती रहेगी। इसलिए डीएमके को अपने अलायन्स से बाहर करने का जोखिम नहीं उठाएंगे।

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