2023-12-25 15:44:45
सुमेरपुर । ब्रम्हलीन संत स्वामी रोटीराम महाराज यज्ञ के माध्यम से सम्पूर्ण क्षेत्र को भावनात्मक शिक्षा देना चाहते थे। जिसमें लोक चिन्तन शुद एवं परिष्कृत होकर सत्यानुगामी बन सके तथा क्षेत्र का सारस्वत विकास हो सके।
बुम्हलीन संत रोटीराम भले ही आज हमारे बीच न हो लेकिन वह सामाजिक एवं राष्ट्रीय जीवन को यज्ञात्मक अनुशासन में पिरोकर एकता और अखण्डता को मजबूत बनाने वाले इस आध्यात्मिक प्रयोग के जरिए भारतीय संस्कृति व धर्ममय वातावरण का निर्माण करना चाहते थे। जिसके लिये उन्होंने क्षेत्र में कई स्थानों पर यह के अनुष्ठान कराये थे। सन 1957 में स्वामीजी ने प्रथम यज्ञ सुमेरपुर में करवायी थी इसके बाद से प्रतिवर्ष गायत्री महायज्ञ की वर्षगांठ गायत्री तपोभूमि में करवायी जा रही है। स्वामी जी मां गायत्री के अनन्य उपासक थे इसीलिये यज्ञ का नाम नाम उन्होने गायत्री महायज्ञ रखा था। उनके बताये गये मार्ग चलकर प्रतिवर्ष 25 लाख गायत्री मंत्र का जप ब्राह्मणों द्वारा यज्ञ की वर्षगांठ पर किया जाता है।
⭕मादक पदार्थ व चढ़ावा के विरुद्ध थे स्वामी रोटी राम
हमीरपुर, फतेहपुर बांदा व कानपुर के विभिन धार्मिक स्थलों में रुककर लोगों को धर्मनिष्ठ कर्मनिष्ठ बनाने वाले स्वामी रोटी राम जी मादक पदार्थ व चढ़ावा के एक दम खिलाफ थे। स्वामी जी की प्रेरणा से जहाँ- जहाँ उन्होंने यज्ञ के आयोजन कराये वहाँ पर साधु- संतों को मादक पदार्थ देने तथा मंदिरों में चढ़ावा तथा दान देने पर पहले से रोक लगा देते रहे हैं। इसी लिये आज भी उनकी भावनाओं की कद्र हो रही है। चढ़ावा व मादक पदार्थ उपलब्ध कराने पर यज्ञ की वर्षगांठ में प्रतिवर्ष रोक लगी रहती है।
⭕वेदान्त दर्शन में कोई सानी नहीं था स्वामी रोटी राम जी का
स्वामी रोटीराम जी के बारे में उनके भक्त बताते है कि वेदात्त दर्शन में उनका कोई सानी नही था। गीता और रामचरित मानस में उनकी अदभुत पकड थी। विविध धार्मिक गन्धों में उन्हें महारथ हासिल थी उनके वचनामृत व जीवन सूत्र आज भी लोगों के लिये प्रेरणा का काम कर रहे हैं। अपने को जानलेना ही ज्ञान है। शक्ति, पवित्रता, प्रेम व शान्ति जीवन के चार उपाय है। ईश्वर के स्मरण की चार विधियाँ है। नाम, रूप लीला व धाम ।
⭕आज भी जन-जन के हृदय में समायें हैं रोटी राम
उत्तर भारत के लव्ध ख्याति संत सिस्वामी रोटीराम महाराज जो गायत्री तपोभूमि में साधनारत रहकर लोगों को उपदेश देते रहे, धर्म के मार्ग पर चलने का संदेश देते रहे। यज्ञ करने व कराने की प्रेरणा देने के साथ ही उन्होने कई यादगार यज्ञ भी कराये भी ऐसे वीतरागी, देश, समाज व धर्म संस्कृति के प्रति समर्पित संत रोटरीराम जी के प्रति यहाँ के भक्तों का इतना गहरा लगाव है कि वे कभी भी अपने दिलो से उन्हें नहीं निकाल सकते। यज्ञ समारोह स्वामी जी के प्रति अगाध आस्था का जीता जागता उदाहरण है।