मनोज कुमार के निधन से दुखी, उन्होंने भारतीय सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मशहूर अभिनेता मनोज कुमार के निधन पर दुख व्यक्त किया है
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2025-04-04 13:46:04

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मशहूर अभिनेता मनोज कुमार के निधन पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स पर कहा कि अभिनेता ने राष्ट्रीय नायकों, किसानों और सैनिकों के जिन प्रतिष्ठित चरित्रों को जीवंत किया, वे हमारी सामूहिक स्मृति में अंकित रहेंगे। सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट में राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा, “अभिनेता और फिल्मकार मनोज कुमार के निधन से दुखी हूं। उन्होंने भारतीय सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ी है। अपने लंबे और प्रतिष्ठित करियर के दौरान वे अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिए जाने जाते थे, जो भारत के योगदान और मूल्यों पर गर्व की भावना को बढ़ावा देती थीं।” राष्ट्रपति ने आगे कहा कि अभिनेता ने राष्ट्रीय नायकों, किसानों और सैनिकों के जिन प्रतिष्ठित चरित्रों को जीवंत किया, वे हमारी सामूहिक स्मृति में अंकित रहेंगे। उन्होंने कहा कि उनका सिनेमा हमेशा राष्ट्रीय गौरव को जगाएगा और हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। मैं उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं। राष्ट्रपति मुर्मु से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई नेताओं ने को फिल्म अभिनेता मनोज कुमार(87) के निधन पर दुख जताया और दिवंगत एक्टर के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं है। देशभक्ति फिल्मों के माध्यम से दर्शकों के दिलों में अलग जगह बनाने वाले हिंदी सिने जगत के दिग्गज कलाकार मनोज कुमार का 87 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने शुक्रवार सुबह मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। मनोज कुमार ने बॉलीवुड को ‘उपकार’, ‘पूरब-पश्चिम’, ‘क्रांति’, ‘रोटी-कपड़ा और मकान’ सहित ढेर सारी कामयाब फिल्में दीं। इन फिल्मों की वजह से उन्हें दर्शक ‘भारत कुमार’ के नाम से भी जानते थे। अभिनेता मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को ऐबटाबाद में हुआ, जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बना। बंटवारे के बाद मनोज कुमार के अभिभावकों ने भारत में रहने का फैसला किया। इसी के साथ वे दिल्ली आ गए। मनोज कुमार ने बंटवारे का दर्द बहुत नजदीक से देखा था। मनोज कुमार को उनकी फिल्मों के लिए 7 फिल्मफेयर पुरस्कार मिले थे। साल 1968 में ‘उपकार’ ने बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टोरी और बेस्ट डायलॉग के लिए चार फिल्मफेयर जीते। 1992 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 2016 में उन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया।

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