2025-01-15 15:55:14
नई दिल्ली : नौवे वैट्रंस दिवस के शुभ अवसर पर दिल्ली कैंट स्थित प्रतिष्ठित मानेकशॉ सेंटर में डॉ. टी.सी. राव द्वारा लिखित पुस्तक भारतीय सैनिक: सुरक्षा की गारंटी का भव्य विमोचन किया गया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भारतीय सशस्त्र बलों के कई सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी, सम्मानित युद्ध वीर, रक्षा विशेषज्ञ और सैन्य जीवन के प्रति रुचि रखने वाले अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। यह पुस्तक सैनिकों के कठिन जीवन और उनके कल्याण के लिए आवश्यक सुधारों पर केंद्रित है।पुस्तक में भारतीय सैनिकों के जीवन के अनछुए पहलुओं को प्रस्तुत किया गया है। इसमें सियाचिन ग्लेशियर पर -40 डिग्री सेल्सियस के हाड़ कंपा देने वाले ठंडे मौसम से लेकर राजस्थान के रेगिस्तानों में 55 डिग्री सेल्सियस की प्रचंड गर्मी में तैनात सैनिकों की कठिनाईयों का विस्तार से वर्णन किया गया है। पुस्तक में उन विपरीत परिस्थितियों का चित्रण किया गया है, जिनमें सैनिक न केवल राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, बल्कि अपनी व्यक्तिगत और पारिवारिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करते हैं। डॉ. राव ने अपनी दो दशक से अधिक की सैन्य सेवा के अनुभवों को इस पुस्तक के माध्यम से साझा किया है। सैनिक से मेजर तक की उनकी यात्रा इस पुस्तक को एक प्रामाणिक और गहन दृष्टिकोण प्रदान करती है।पुस्तक में कई महत्वपूर्ण चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है, जिनका सामना भारतीय सैनिक अपने सेवा काल में करते हैं। इसमें पहली प्रमुख चुनौती विवाहितों के लिए आवास की कमी है। अधिकतर सैनिकों को अपनी तैनाती के स्थानों पर परिवार सहित रहने के लिए पर्याप्त आवासीय सुविधाएँ नहीं मिल पातीं, जिसके कारण वे अपने परिवार से लंबे समय तक दूर रहते हैं। यह दूरी उनके मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। इसके अलावा, राशन आपूर्ति से जुड़ी समस्याओं पर भी पुस्तक में चर्चा की गई है। डॉ. राव ने बताया है कि कई बार दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को समय पर गुणवत्तापूर्ण राशन नहीं मिलता, जिससे उनके स्वास्थ्य और कार्यक्षमता पर असर पड़ता है।वेतन, भत्तों, पदोन्नति और तैनाती की प्रक्रिया भी सैनिकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण पहलू है, जिस पर सुधार की आवश्यकता है। पुस्तक में इन समस्याओं को रेखांकित करते हुए सुझाव दिया गया है कि सैनिकों की सेवाओं के अनुरूप वेतन संरचना में सुधार होना चाहिए। पदोन्नति प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की भी आवश्यकता है ताकि सैनिकों के मनोबल को बढ़ाया जा सके।सैनिकों के अधिकार और कर्तव्यों को स्पष्ट करते हुए, डॉ. राव ने इस बात पर बल दिया है कि सैनिक राष्ट्र की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं, लेकिन उनके अधिकारों और वैध मांगों को भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। पुस्तक में विश्राम नीतियों, रियायतों और छूट की योजनाओं में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। साथ ही, शहीदों के परिवारों की देखभाल के महत्व को भी रेखांकित किया गया है। डॉ. राव ने यह सुझाव दिया है कि शहीदों के परिवारों के लिए दीर्घकालीन कल्याणकारी योजनाएँ बनाई जानी चाहिए ताकि वे सम्मान और गरिमा के साथ अपना जीवन यापन कर सकें।पुस्तक में सुधारों की आवश्यकता को लेकर एक प्रभावशाली संदेश दिया गया है। इसमें सैनिकों के कल्याण के लिए कई व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें सबसे पहले सैनिकों के लिए आधुनिक आवासीय सुविधाएँ उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। अधिक संख्या में विवाहित आवासों का निर्माण और तैनाती स्थलों पर बेहतर रहने की सुविधाओं की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। वेतन और भत्तों की संरचना का पुनर्विलोकन करते हुए, इसमें कठिन परिस्थितियों में कार्यरत सैनिकों के लिए विशेष भत्ते देने की अनुशंसा की गई है। साथ ही, राशन आपूर्ति प्रबंधन को दुरुस्त करने और दूरदराज के क्षेत्रों में समय पर गुणवत्तापूर्ण राशन की उपलब्धता सुनिश्चित करने का भी सुझाव दिया गया है।पदोन्नति और तैनाती की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए भी सुझाव दिए गए हैं। पुस्तक में सैनिकों के कल्याण के लिए कई नीतिगत सुधारों की आवश्यकता बताई गई है, जिसमें विशेष रूप से शहीदों के परिवारों के लिए दीर्घकालीन सहायता और समर्थन योजनाएँ शामिल हैं। डॉ. राव ने इस बात पर बल दिया है कि राष्ट्र की सेवा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों के परिवारों को सरकार और समाज द्वारा हर संभव सहायता दी जानी चाहिए।कार्यक्रम के दौरान उपस्थित अतिथियों ने पुस्तक की सराहना की। उन्होंने इसे सैनिकों के जीवन की वास्तविक परिस्थितियों को समझने के लिए एक अनूठा प्रयास बताया। मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राजेश सिंह ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा, डॉ. राव ने अपने अनुभवों को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक केवल अनुभवों का संग्रह नहीं है, बल्कि सैनिकों के कल्याण के लिए एक ठोस नीतिगत पहल का आह्वान भी है।कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों को पुस्तक की प्रतियाँ भेंट की गईं। डॉ. राव ने व्यक्तिगत रूप से कई वयोवृद्धों के लिए पुस्तक पर हस्ताक्षर किए। 9वें वैट्रंस दिवस पर इस पुस्तक का विमोचन, सैनिकों और शहीदों के प्रति एक विनम्र श्रद्धांजलि के रूप में देखा गया।