राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अनुसंधान से प्रभाव तक न्यायसंगत और लचीली कृषिखाद्य प्रणालियों की ओर विषय पर अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान सम्मेलन का उद्घाटन किया

हमारी कृषि-खाद्य प्रणालियों को अधिक न्यायसंगत, समावेशी और न्यायसंगत बनाना न केवल वांछनीय है बल्कि ग्रह और मानव जाति की भलाई के लिए भी महत्वपूर्ण है: राष्ट्रपति मुर्मु
News

2023-10-09 15:35:19

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 9 अक्टूबर, 2023 को नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान पर सलाहकार समूह (सीजीआईएआर) जेंडर इम्पैक्ट प्लेटफॉर्म और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा आयोजित अनुसंधान से प्रभाव तक: न्यायसंगत और लचीली कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान सम्मेलन का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि यदि कोई समाज न्याय रहित है, तो समृद्धि के बावजूद उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जब स्त्री-पुरुष समानता की बात आती है, तो सबसे पुरातन विज्ञान के रूप में पहचानी जाने वाली कृषि, आधुनिक समय में भी कमजोर स्थिति में है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी ने कृषि-खाद्य प्रणालियों और समाज में संरचनात्मक असमानता के बीच एक सुदृढ़ संबध को भी सामने ला दिया है। उन्होंने कहा कि महामारी के दिनों में पुरुषों की तुलना में, महिलाओं को अधिक संख्या में नौकरियां गंवानी पड़ीं और इससे उनका प्रवासन शुरू हुआ।

राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक स्तर पर हमने देखा है कि महिलाओं को लंबे समय तक कृषि-खाद्य प्रणालियों से बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा कि वे कृषि संरचना का मूल आधार हैं, लेकिन उन्हें निर्णायक भूमिका निभाने के अवसरों से वंचित किया जाता है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में, महिलाओं को भेदभावपूर्ण सामाजिक मानदंडों और ज्ञान, स्वामित्व, संपत्ति, संसाधनों और सामाजिक नेटवर्क में बाधाओं के रूप में आगे बढ़ने से रोका जाता है और पीछे धकेला जाता है। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि महिलाओं के योगदान को मान्यता नहीं दी गई है, उनकी भूमिका को हाशिए पर रखा गया है और कृषि-खाद्य प्रणालियों की पूरी श्रृंखला को नकारा गया है। अब इस कहानी में परिवर्तन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत में, हम विधायी और सरकारी हस्तक्षेपों के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ उन परिवर्तनों को देख रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक महिलाएं अबला नहीं बल्कि सबला हैं, यानी असहाय नहीं बल्कि शक्तिस्वरूपा हैं। उन्होंने कहा कि हमें न केवल महिला विकास बल्कि महिला नेतृत्व वाले विकास की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारी कृषि-खाद्य प्रणालियों को अधिक न्यायसंगत और समावेशी बनाना न केवल वांछनीय है बल्कि ग्रह और मानव जाति के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण भी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक अस्तित्वगत खतरा है और हमें तेजी से और तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, बर्फ के पिघलने और प्रजातियों के विलुप्त होने से खाद्य उत्पादन में बाधा आ रही है और कृषि-खाद्य चक्र भी टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। यह जलवायु परिवर्तन की कार्रवाई में बाधा डाल रहा है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का कारण बन रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हमारी कृषि-खाद्य प्रणालियां एक दुष्चक्र में फंस गई हैं और हमें इस चक्रव्यूह को तोड़ने की जरूरत है। उन्होंने जैव विविधता बढ़ाने और पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया ताकि सभी के लिए अधिक समृद्ध और न्यायसंगत भविष्य के साथ-साथ कृषि-खाद्य प्रणालियों के माध्यम से खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ, नैतिक रूप से वांछनीय, आर्थिक रूप से किफायती और सामाजिक रूप से उचित उत्पादन के लिए, हमें ऐसे अनुसंधान की आवश्यकता है जो इन लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए परिस्थिति-अनुकूल हो। उन्होंने कहा कि हमें कृषि-खाद्य प्रणालियों में बदलाव की एक व्यवस्थित समझ की आवश्यकता है। कृषि-खाद्य प्रणालियां लचीली और चुस्त होनी चाहिए ताकि वे सभी के लिए पौष्टिक और स्वस्थ आहार को अधिक सुलभ, उपलब्ध और किफायती बनाने के समक्ष आने वाले व्यवधानों का सामना कर सकें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अगले चार दिनों में इस सम्मेलन में सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा और कृषि-खाद्य प्रणालियों में सकारात्मक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त होगा।

Readers Comments

Post Your Comment here.
Characters allowed :
Follow Us


Monday - Saturday: 10:00 - 17:00    |    
info@anupamsandesh.com
Copyright© Anupam Sandesh
Powered by DiGital Companion