2023-09-03 17:35:48
रास्ते में पाँच स्त्रियाँ हलषष्ठी देवी की पूजा करती मिली। दासी ने वहाँ बैठकर पूजा के विधि विधान को देखा और मन ही मन हलषष्ठी देवी की पूजा कर प्रार्थना किया। जिसके प्रभाव से उसके दोनों पुत्र जीवित हो खेलने लग गये। यह देखकर भिलिन को भी आश्चर्य मिश्रित अत्यंत प्रसन्नता हुई। पाँचवीं कथा- एक बनिया था। उसके छह पुत्र थे। पर सभी के अकस्मात मर जाने के कारण उसकी पत्नी दुःखी होकर वन में चली जाती है। वहाँ उसे एक ऋषि मिलते हैं जिनसे उसने रोते हुये सारी गति बताई। तब मुनि ने ध्यान लगाकर देखा और बनिया की पत्नी को बताया कि तुम्हारे पुत्र ब्रम्हलोक में हैं। फिर उन्होंने ध्यान लगाकर उसके पुत्रों से कहा कि बालको वहाँ तुम्हारी माता बहुत दुःखी हैं चलो! तब बालकों ने कहा कि वे उनसे दुःखी होकर आये हैं। अब हमें पाने के लिये उन्हें हलषष्ठी व्रत करना होगा, और पूजा के अंत में मेरी पीठ को पोता से मारें। इस पुण्यकार्य से मैं दीर्घायु हो जाऊंगा। उन्होंने उस स्त्री को सारी बातों से अवगत कराया जिसके अनुसार उस स्त्री ने हलषष्ठी देवी की पूजा की। जिसके प्रभाव से उसे पुनः एक लड़का होने पर पूजा के अंत में बच्चे के पीठ को पोता से मारा और वह दीर्घ जीवन को प्राप्त किया। इसी प्रकार हलषष्ठी देवी की पूजा कर द्रौपती ने उत्तरा (बहू) के साथ पूजा करके उसके गर्भ में मरे बालक को जीवित कराया। जिसका नाम परीक्षित पड़ा। वासुदेव पत्नी देवकी ने भी हलषष्ठी देवी की पूजा कर कृष्ण जैसे बालक की माता बनने का सौभाग्य प्राप्त किया।