नेटि‍जन ने भारत के विकास को बताया ‘मास्टर क्लास’, प्रगति के साथ सस्टेनेबिलिटी को सराहा

विकास और स्थिरता को एक साथ लेकर चलने की भारत की प्रतिबद्धता की सराहना
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2025-03-10 13:31:23

विकास और स्थिरता को एक साथ लेकर चलने की भारत की प्रतिबद्धता की सराहना करते हुए एक नेटि‍जन ने इसे मास्टर क्लास करार दिया है। उसने कुछ आंकड़े साझा करते हुए कहा कि भारत सबसे कम प्रति व्यक्ति सीओ2 (कार्बन डाइऑक्साइड) उत्सर्जन वाले देशों में है। नेटिजन ने 15 देशों के प्रति व्यक्ति सीओ2 उत्सर्जन के आंकड़े पेश किए ‘इनफोइनडाटा’ प्रोफाइल नेम के साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अकाउंट रखने वाले नेटिजन ने पोस्ट में ग्राफिक्स के माध्यम से 15 देशों के प्रति व्यक्ति सीओ2 उत्सर्जन के आंकड़े पेश किए हैं। इन आंकड़ों के लिए हाइनरिच-आईएमडी सस्टेनेबल ट्रेड इंडेक्स का इस्तेमाल किया गया है, जो नवंबर 2024 में जारी किया गया था। भारत का प्रति व्यक्ति सीओ2 उत्सर्जन है 1.9 टन प्रति वर्ष ग्राफिक्स के अनुसार, भारत का प्रति व्यक्ति सीओ2 उत्सर्जन 1.9 टन प्रति वर्ष है और जिन 15 देशों के बारे में बताया गया है, उनमें भारत से बेहतर रिकॉर्ड सिर्फ बांग्लादेश (0.6 टन) का है।पोस्ट में कहा गया है, “भारत, जो दुन‍िया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, प्रति व्यक्ति सबसे कम सीओ2 उत्सर्जन करने वाले देशों में से एक है। आत्मविश्वास के साथ विकास और स्थिरता को संतुलित करते हुए, यह एक ऐसा मार्ग तैयार करता है, जहां कार्बन के बिना व‍िकास होता है। संयम और संकल्प का एक मास्टर क्लास।” कनाडा करता है प्रति व्यक्ति सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन वहीं, प्रति वर्ष 15.2 टन के साथ कनाडा प्रति व्यक्ति सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करता है। ऑस्ट्रेलिया 15.1 टन के साथ दूसरे और अमेरिका 14.4 टन के साथ तीसरे स्थान पर है। इसके बाद रूस (13.3 टन), दक्षिण कोरिया (12.3 टन), सिंगापुर (8.9 टन), चीन (8.9 टन), जापान (8.6 टन) और मलेशिया (8.2 टन) का स्थान है। न्यूजीलैंड (6.6 टन), ब्रिटेन (5 टन), मेक्सिको (3.6 टन) और इंडोनेशिया (2.5 टन) भी भारत की तुलना में प्रति व्यक्ति ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों में हैं। भारत सरकार ने 2030 तक गैर-पारंपरिक स्रोतों से 500 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है भारत ने अपनी ऊर्जा उपभोग में स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल पर पिछले कुछ समय में काफी जोर दिया है। सरकार ने 2030 तक गैर-पारंपरिक स्रोतों से 500 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता 200 गीगावाट को पार कर चुकी है।

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