2025-04-06 17:49:18
रामनवमी मर्यादा-निर्वाह के उच्चतम आदर्शों के पुंज मर्यादा पुरुषोत्तम के जन्म का पुण्य दिवस है।जैसा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से भारतीय नववत्सर की शुरुआत होती है और चैत्र शुक्ल नवरात्रि पर्व के वासन्तिक नवरात्र में नवमी के दिन अयोध्या के चक्रवर्ती राजा दशरथ और माता कौशल्या के घर भगवान् श्रीराम का अवतरण हुआ। वैसे तो धार्मिक दृष्टिकोण से रामनवमी का पर्व देश के कोने-कोने में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।यह त्यौहार मनाने का मूल उद्देश्य भगवान श्रीराम की परम पावन लीलाओं का सुमिरन करना और उनके आदर्श चरित्र का स्मरण-मनन भी करना है।श्री रामचन्द्र के जीवन की तुलना अन्य सभी महापुरुषों से की जाये तो वे नक्षत्रों में सूर्य की भांति नज़र आते हैं।रामनवमी का धार्मिक-परम्परागत स्वरूप जो भी हो मगर राष्ट्रीय भावना से भी ओत-प्रोत है। भगवान श्रीराम ने अपने आपको केवल अयोध्या की सीमा तक सीमित न रखकर संपूर्ण भारतवर्ष विशेषकर दक्षिणांचल को भी अपना कर्म-क्षेत्र बनाया।उनके जीवन में हिंदू, हिन्दुस्तान और मातृभूमि के प्रति समर्पित रहने के कारण इस त्रिवेणी संगम का पावन प्रभाव बखुबी दिखाई देता है।उन्होंने साधारण प्रजा से लेकर योगी-संत,ऋषि-मुनियों आदि सभी के कष्टों को दूर करने में व्यक्तिगत भव सुखों को त्याग दिया था।इसी भावना और चिंतन के आधार पर वे जंगल में धार्मिक अनुष्ठान व कृत्य करने वाले संतो और महर्षियों के यज्ञ की रक्षा के लिए माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण सहित चल दिए।उन्होंने सुदूर दक्षिण दिशा की ओर से आने वाले राक्षसी और आसुरी शक्तियों से लौहा लिया और पाप कर्म प्रसारित करने वाले आक्रमणों को समूल नष्ट कर दिया।वहीं रक्षा संस्कृति के पुरोधा रावण को निर्वंश करके दक्षिण भारत के लोगों के जीवन में सुख और शांति की गंगा बहाई।असुर प्रवृतियों से लड़ते हुए अलग-अलग राज्यों में क्षेत्रवाद की संकुचित भावना और प्रादेशिक महमान्यता के विष बीज को सदा सर्वदा के लिए मिट्टी में मिला दिया।उन्होंने हिमालय से लेकर हिंद महासागर तक तथा पश्चिम के प्रभास तीर्थ से लेकर पूर्व की कामाख्या देवी तक एक राष्ट्र की महा मंगलमयी भावना प्रदान की।वस्तुत: श्री रामेश्वरम् में शिवार्चन करके शिव स्थापना करना उनकी अपने राष्ट्र के प्रति एकात्मकता को दर्शाता है। भगवान राम का उत्तर से दक्षिण को जोड़ने का सम्पूर्णता का प्रयास स्तुत्य है। इसी विचार से भारत माता के प्रति सर्वस्व न्यौछावर करने और खंडित मातृभूमि को अखण्ड बनाने की प्रेरणा मिलती है।