2025-01-07 14:44:06
नई दिल्ली :उजाला योजना के तहत 6 जनवरी 2025 तक 36.87 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं, जिससे यह देश में सबसे व्यापक रूप से अपनाई जाने वाली पहलों में से एक बन गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 जनवरी, 2015 उजाला योजना को शुरू किया था। उजाला योजना ने अपनी 10वीं वर्षगांठ को ऊर्जा दक्षता में अभूतपूर्व पहल के रूप में चिह्नित किया है । पहले इसे घरेलू दक्ष प्रकाश कार्यक्रम (डीईएलपी) के रूप में पेश किया गया और बाद में इसे उजाला के रूप में पुनः ब्रांड किया गया। उजाला ने लाखों भारतीय घरों को किफायती ऊर्जा-दक्ष एलईडी बल्ब, ट्यूब लाइट और पंखे प्रदान करके घरेलू प्रकाश व्यवस्था में क्रांति ला दी। पिछले दशक में, देश भर में 36 करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं, जिससे सालाना 19,153 करोड़ रुपए की बचत हुई। पिछले 10 सालों में उजाला दुनिया के सबसे बड़े शून्य-सब्सिडी घरेलू प्रकाश कार्यक्रम के रूप में विकसित हुआ है, जो ऊर्जा खपत को कम करने, पर्यावरण जागरूकता बढ़ाने और आर्थिक दक्षता को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का उदाहरण है। गौरतलब हो, साल 2014 में एक एलईडी बल्ब की खुदरा कीमत लगभग 450-500 रुपए थी, जो सीएफएल 100-150 रुपए और आईसीएल 10-15 रुपए से काफी अधिक थी। परिणामस्वरूप, 2013-14 में प्रकाश बाजार में एलईडी की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम थी। जिससे एलईडी को किफायती और सुलभ बनाने के आवश्यकता पड़ी। उजाला योजना की कल्पना भारत के घरों में ऊर्जा दक्षता की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिए की गई थी, जहां पारंपरिक प्रकाश व्यवस्थाएं महत्वपूर्ण बिजली की खपत करती थीं और उपभोक्ताओं पर उच्च लागत का बोझ डालती थीं। एक 7W एलईडी बल्ब 14W कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप (सीएफएल) और 60W तापदीप्त लैंप (आईसीएल) के समान प्रकाश प्रदान करता है, जिससे आईसीएल की तुलना में लगभग 90% और सीएफएल के मामले में 50% ऊर्जा की बचत होती है।