लोकसभा सचिवालय और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ‘संसद भाषिणी’ शुरू करने के लिए किया समझौता

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना
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2025-03-19 14:13:01

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव की उपस्थिति में लोकसभा सचिवालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच एआई-संचालित बहुभाषी संसदीय संचालन के लिए “संसद भाषिणी” शुरू करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। संसद भाषिणी का उद्देश्य संसद से जुड़े कार्यों के संचालन में विभिन्न भाषाओं की सुविधा प्रदान करने और इससे जुड़ी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित बनाने के लिए एक व्यापक इन हाउस एआई समाधान प्रदान करना है। लोकसभा सचिवालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने संसदीय आंकड़ों के संग्रह की मदद से प्रोडक्टस और टूल्स विकसित करने के लिए समन्वय और सहयोग पर सहमति व्यक्त की है। संसद द्वारा उपलब्ध कराए गए संसदीय डेटा और संसाधनों का उपयोग एआई प्रोडक्टस/टूल्स को बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा। दूसरी ओर भाषिणी से अनुवाद की सुविधा और अन्य तकनीकी विशेषज्ञता उपलब्ध होगी। संसद भाषिणी के तहत प्रमुख एआई पहल (AI solution) निम्नानुसार हैं- 1. एआई-आधारित अनुवाद वाद-विवाद के ऐतिहासिक दस्तावेजों, एजेंडा फाइलों, समिति की बैठकों और अन्य संसदीय सामग्री का क्षेत्रीय भाषाओं में निरंतर अनुवाद करना। सभी लोगों को विभिन्न भाषाओं में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना। 2. संसद की वेबसाइट के लिए एआई-संचालित चैटबॉट एक अत्याधुनिक इंटरैक्टिव चैटबॉट जिससे सदस्यों और अधिकारियों को प्रक्रिया संबंधी महत्वपूर्ण नियमों और दस्तावेजों खोजने में मदद मिलेगी । उपयोग करने वाले तत्काल सटीक सूचना प्राप्त कर पाएंगे, जिससे महत्वपूर्ण संसदीय नियमों और पद्धतियों को खोजने में कम समय लगेगा। उपयोगकर्ताओं द्वारा चैटबॉट का उपयोग किए जाने से इसकी क्षमता निरंतर बढ़ेगी और इसमें सुधार होगा। साथ ही साथ समय के साथ-साथ इसकी दक्षता में भी वृद्धि होगी । 3. स्पीच-टू-टेक्स्ट रूपांतरण और साथ-साथ भाषांतरण एक क्रांतिकारी प्रणाली जो रियल टाइम में ट्रांसक्रिप्शन के साथ सभा में होने वाले वाद-विवाद को टेक्स्ट में बदल देगी। यह सुविधा भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि बहस (वाद-विवाद) को आसानी से रिकॉर्ड किया जा सके, उन तक पहुंचा जा सके और उनका संदर्भ दिया जा सके। इसमें बैकग्राउण्ड नॉइज रिडक्शन, अनुकूलन योग्य शब्दावली और कुशल डॉक्युमेंटेशन टूल्स भी शामिल होंगे, जिससे इसकी सटीकता बढ़ेगी । 4. रियल-टाइम ट्रांसक्रिप्शन के साथ स्पीच-टू-स्पीच रूपांतरण इस पहल से रियल-टाइम में भाषण का रूपांतरण और अनुवाद होगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि चर्चा और बहस विभिन्न भाषाओं में तत्काल उपलब्ध हों। लंबी चर्चाओं का सारांश अपने-आप तैयार होने से त्वरित निर्णय लेने और बेहतर रिकॉर्ड रखने में मदद करेगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसके बारे में सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कहा कि संसद से जुड़े कार्यों का संचालन सुगम हो, माननीय सदस्यों को एक ही समय पर कई भाषाओं में कार्यवाही उपलब्ध हो सके, इसके लिए “संसद भाषिणी” पहल उपयोगी सिद्ध हो रही है। दरअसल, संसद भाषिणी पहल कृत्रिम बुद्धिमता और त्वरित अनुवाद के माध्यम से संसदीय दस्तावेजीकरण और पहुंच में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। इस पहल से सांसदों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को संसदीय बहस और अभिलेख के विशाल संग्रह तक कई भाषाओं में पहुंच प्राप्त हो सकेगी।

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