महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के कार्यकर्ताओं और लोकल नेतृत्व के लिए आसान होता नहीं दिख रहा है।

नागालैंड में एनसीपी के 7 विधायकों के टूटकर अजित पवार की एनसीपी में जाने पर भी शरद पवार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। शरद पवार बंगलूरू में विपक्षी दलों की एकता बैठक में गए थे।
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2023-07-28 17:15:19

महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे का मानना है कि एनसीपी में टूट एनसीपी प्रमुख शरद पवार का सियासी ड्रामा है। पर कुछ लोगों ने संभावना की पड़ताल की तो एनसीपी के नेता और शरद पवार के विश्वस्त अनिल देशमुख ने बहुत संभलकर प्रतिक्रिया दी थी। नागालैंड में एनसीपी के 7 विधायकों के टूटकर अजित पवार की एनसीपी में जाने पर भी शरद पवार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। शरद पवार बंगलूरू में विपक्षी दलों की एकता बैठक में गए थे। वहां से लौटने के बाद से उन्होंने अजित पवार और उनके साथ एनसीपी से बगावत करने वाले विधायकों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया। इतना ही नहीं बंगलूरू रवाना होने से एक दिन पहले तीन दिन तक लगातार तीन बार अजित पवार और उनके सहयोगियों ने शरद पवार से मुलाकात की। उनके पैर छुए, आशीर्वाद मांगा। एनसीपी की एकजुटता का मार्गदर्शन भी मांगा और शरद पवार ने इस मामले में अभी कोई ठोस जवाब नहीं दिया है। ऐसे में लोगों को लग रहा है कि यह एनसीपी के प्रमुख और मराठा राजनीति के रहस्यमयी नेता शरद पवार के राजनीतिक दांवपेंच में सब हो रहा है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि उद्धव ठाकरे और संजय राउत दोनों चाहते हैं कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हाशिए पर चले जाएं। शिवसैनिकों का मानना है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटने के बाद एकनाथ शिंदे की राजनीतिक दुश्वारियां तेजी से बढ़ेंगी। इसका शिवसेना को अच्छा राजनीतिक फायदा होगा। शिवसेना (उद्धव ठाकरे) को लग रहा है कि अजित पवार के मुख्यमंत्री बनने के बाद उसका यह लक्ष्य तेजी से हासिल होगा। इससे एकनाथ शिंदे को भी बगावत का सबक मिल जाएगा। उद्धव ठाकरे गुट के नेता कहते हैं कि 16 विधायकों की अयोग्यता का फैसला आने के साथ उद्धव ठाकरे के राजनीतिक वजूद को मजबूती मिलनी शुरू हो जाएगी। एकनाथ शिंदे इसके साथ ही भाजपा के लिए बोझ बनना शुरू हो जाएंगे। बताते हैं ऐसा होने के बाद एनसीपी (शरद पवार) को भी फायदा होगा।

अभी चुनाव में 10 महीने का समय बचा है। इस दौरान एनसीपी के नेताओं के कामकाज में तेजी आएगी। महाराष्ट्र की राजनीति को समझने वाले कहते हैं कि इसका फायदा भाजपा को भी है। वह अपने से बिछुड़ चुकी शिवसेना (उद्धव ठाकरे) को अजित पवार के माध्यम से जोड़ने का अवसर पा सकती है। चतुर्वेदी कहते हैं कि अजित पवार एक राजनीति का जंक्शन प्वाइंट साबित हो सकते हैं। जहां वह एक तरफ एनसीपी और शरद पवार के लिए भाजपा से राजनीतिक रिश्ते का दरवाजा खोल रहे हैं, वहीं शिवसेना (उद्धव ठाकरे) से भाजपा को खटास कम करने का अवसर मिल सकता है। इन दोनों ही परिस्थितियों में राजनीतिक नुकसान केवल कांग्रेस को होगा। वह राजनीतिक रूप से और मतों की हिस्सेदारी मेंं अलग-थलग पड़ सकती है। वीडी चतुर्वेदी कहते हैं कि देखते जाइए। लगता है कि महाराष्ट्र में राजनीति की शतरंज की बिसात पर चली जा रही हैं बड़ी चालें।

अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक एवं टिप्पणीकार

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