वैश्विक परिदृश्य में हिंदी का बढ़ता महत्त्व एवं बढ़ती संभावनाएंँ

मानवीय संस्कृति की सबसे मूल्यवान उपलब्धि भाषा है। यही कारण है कि आदि जननी संस्कृत को भारतीय मनीषियों ने देव भाषा के रूप में नामकरण किया था भाषा कभी तेवर का निर्माण करती है,
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2025-01-17 19:09:03

दिल्ली : मानवीय संस्कृति की सबसे मूल्यवान उपलब्धि भाषा है। यही कारण है कि आदि जननी संस्कृत को भारतीय मनीषियों ने देव भाषा के रूप में नामकरण किया था भाषा कभी तेवर का निर्माण करती है, तो कभी समय के सांचे में ढल कर चमक उठती है।अंग्रेजी के सामने अपने को असहाय और हीन महसूस करती रही लेकिन समय तेजी से बदलने लगा और हिंदी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना पताका लहरा रही है इसका एक कारण भले ही वैश्वीकरण और बाजार है पर किसी भी तरीके से हिंदी आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित हो चुकी है रूस के एक हिंदी विद्वान प्रोफेसर शनि चालीसा सब ने कहा था-समसामयिक विश्व में बढ़ती सकारात्मक भूमिका अदा कर रहे महान एशियाई देश की एक सर्वाधिक विकसित और प्रचलित भाषा हिंदी को विश्व भाषा बनना चाहिए।हिंदी भाषा का जादू था कि जॉर्ज ग्रियर्सन ने पराधीन भारत का सर्वप्रथम भारतीय सर्वेक्षण किया जो 19 खंडों और तीन भागों में लिपिबद्ध है। विलियम कॉलेज में हिंदुस्तानी विभाग के अध्यक्ष डॉ. जॉन गिलक्रिस्ट ने सर्वप्रथम हिंदी पाठ्यपुस्तक लिखा।विद्वान गार्सा द तासी ने सर्वप्रथम हिंदी भाषा का साहित्य इतिहास को स्थावर दलाली तू रेलवे एंड वी ए हिंदुस्तानी शीर्षक नाम से लिखा।यहां यह भी उल्लेखनीय तत्व है कि हिंदी की सबसे पहली डिलीट 40 के दशक में यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में जेई कारपेंटर ने तुलसीदास का धर्म दर्शन विषय पर की थी पादरी सैमुअल के लोगों ने हिंदी का बहुत बड़ा व्याकरण लिखा इसके बाद समूचे विश्व के देशों में भारतीय व्यापार नौकरी अन्य उद्योग धंधों के कारण स्थाई रूप से बस गए इन प्रवासी भारतीयों ने भी हिंदी की सीमाओं को विस्तृत कर अंतरराष्ट्रीय क्षितिज प्रदान करने में अपनी अहम भूमिका का निर्वहन किया है। हिंदी भाषा के अंतरराष्ट्रीय स्तर एवं उसके स्वरूप का आकलन इसी से लगाया जा सकता है कि आज अमेरिका के पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय में एमबीए के छात्रों के 2-वर्षीय कोर्स में हिंदी अनिवार्य कर दिया गया है भले इसका कारण अमेरिकी सरकार की बाजारवाद नीति जुड़ी हुई है साथ ही अमेरिका के अन्य 14 विश्वविद्यालयों में हिंदी शिक्षण का पाठ्यक्रम वर्तमान में चल रहा है जापान के अशोका यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज और टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज में हिंदी पढ़ाई जाती है। गौरतलब है कि जापान में जून 1940 से रेडियो के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार में अपनी भूमिका निभा रहा है साथ ही सभी अब हिंदी को प्राथमिकता दे रहे हैं और इसका प्रमाण से मिलता है कि चीन की सबसे प्रतिष्ठित संस्थान यूनिवर्सिटी कैंपस में 100 से ज्यादा हिंदी विद्यार्थी और प्रोफेसर एकत्रित होकर इंडिया साथ ही यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशियाई विभाग के प्रोफेसर ने कहा कि चीन के 9 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है।1980 में अहमद साहब ने पाकिस्तान में हिंदी अकादमी की स्थापना की और आज इस्लामाबाद करांची और लाहौर विश्वविद्यालय में हिंदी शिक्षण का कार्य चल रहा है साथ ही मॉरीशस, सूरीनाम, फिजी, रंगून, के साथ ही साथ जर्मनी या न्यूजीलैंड के कई विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी सिखाई और विधिवत रूप से पढ़ाई जा रही है बाज़ार को और हिंदी की लोकप्रियता को देखते हुए अनेक अंग्रेजी चैनल हिंदी में अनूदित होकर आने लगे हैं। जितने भी अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र जो अंग्रेजी में आते रहे वह हिंदी में उपलब्ध हो रहे हैं इंटरनेट पर आज हिंदी स्थापित हो चुकी है l ई-मैग्जीन, ई-अखबार अनेक हिंदी वेब पोर्टल हिंदी सॉफ्टवेयर अनेकानेक हिंदी सामग्री आज स्थापित हो चुकी है । इन उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुंच गए हैं कि हिंदी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचकर आज पूरे विश्व में अपना परचम का डंका बजा रही है। अंग्रेजी स्पेनिश भले ही बड़ी भाषाओं में हैं लेकिन अपनी सरलता, सहजता और आत्मीयता के कारण हिंदी लोकप्रियता के शिखर पर दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। (लेखिका कालिंदी काॅलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली में हिंदी की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।)

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