2025-04-01 21:55:07
हिसार के महाराजा अग्रसेन भवन में चल रही श्रीराम कथा के दौरान शिव-पार्वती विवाह की झांकी व श्रीराम जन्मोत्सव की झांकी ने श्रद्धालुओं को अभिभूत कर दिया। समस्त भक्तों ने फूलों की वर्षा करके अपनी आस्था जताई और पूरा पंडाल जय श्रीराम के उदघोष से गुंजायमान हो उठा। इस दौरान आस्था की पराकाष्ठा देखने को मिली। श्रीराम कथा समिति द्वारा महाराजा अग्रसेन भवन में आयोजित किए जा रहे रामनवमी महोत्सव व श्रीराम कथा के दौरान महंत चिन्मयदास जी महाराज ने शिव-पार्वती विवाह प्रसंग के माध्यम से भगवान शिव व पार्वती की महिमा से परिचय करवाया। श्रीराम कथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने प्रभु श्रीराम जन्म से जुड़ी गाथाओं व प्रसंगों को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि जिस माता-पिता के घर श्रीराम जैसा पुत्र जन्म लेता है तो उनका बेड़ा पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि पिता जब दिनभर मेहनत करके थका हुआ घर लौटता है और घर पहुंचते ही पुत्र की मधुर वाणी व सदव्यवहार देखने को मिल जाए तो उसकी सारी थकान दूर हो जाती है। इसके विपरीत यदि कोई पुत्र अपने परिजनों के प्रति कटु वाणी का प्रयोग करता है तो उसे कुपुत्र ही कहा जाएगा। महंत चिन्मयदास जी ने कहा कि माता-पिता की सेवा करने वाली संतान को कई जन्मों की तपस्या से अधिक फल मिलता है। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि मूर्ति में भगवान की भावना कर सकते हैं तो माता-पिता में भी भगवान की भावना की जा सकती है। माता-पिता का आदर व सेवा न करने वाली संतान के लिए पूजा व दान व्यर्थ है। श्रीराम कथा समिति के पदाधिकारी सुरेंद्र लाहौरिया, राजेश बंसल व शक्ति अग्रवाल ने बताया कि श्रीराम कथा के दौरान डॉ. नकुल गुप्ता, डॉ. भूषण सुदर्शन बंसल, हेमंत सरावगी, आशा गुप्ता, मंजू गुप्ता, रामसिंह बिश्नोई, महेंद्र बंसल, विशाल बंसल, आलोक अग्रवाल, राजेंद्र बंसल, सज्जन गुप्ता, राकेश शर्मा, मंजुल गोयल, रामनिवास परसा, राकेश गुप्ता, वीरभान बंसल, जनक गुप्ता, राधेश्याम अग्रवाल, चंद्रभान सोनी व प्रेम कश्यप सहित काफी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित रहे। श्रीराम कथा के दौरान मां जानकी सेवा दल की सदस्यों ने नाचते-गाते हुए श्रीराम जन्म की झांकी निकाली। प्रभु श्रीराम के बाल स्वरूप को गोद में लेकर मातृशक्ति ने नृत्य करके सभी श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। इस आलौकिक दृश्य को देखने व पुष्प वर्षा करने के लिए श्रद्धालु मंच के पास एकत्र हो गए। कथा व्यास महंत चिन्मयदास जी महाराज ने श्रीराम कथा का महत्व स्पष्ट करते हुए कहा कि हिसारवासी अत्यंत सौभाग्यशाली है जो उन्हें लगातार हर वर्ष श्रीराम कथा श्रवण करने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जिस इंसान से प्रभु प्रेम करना चाहते हैं, जिसके हृदय में विराजना चाहते हैं, उसे अपनी कथा का दान करते हैं। महंत चिन्मयदास जी ने कहा कि कथा सुनने व आत्मसात करने से प्रभु के प्रति प्रेम उत्पन्न होता है। उन्होंने कहा कि जिसके व्यक्तित्व से हम परिचित न हों उसके प्रति श्रद्धा उत्पन्न नहीं होती। इसलिए जितना श्रीराम कथा को श्रवण करके चिंतन-मनन किया जाए, उतनी श्रीराम के प्रति आस्था बढ़ती जाती है।