यदि नहीं रोका गया धर्म भाषा जाति के नाम पर आपस में लड़वाना, तो वह दिन दूर नहीं जब मानव ही मानव का सबसे बड़ा शत्रु होगा

इस संसार में बहुत सी लड़ाइयां बेवजह की होती है कोई जाति के लिए लड़ रहा है तो कोई धर्म के लिए लड़ रहा है तो कोई अमीरी और गरीबी तो कोई प्रमोशन या आरक्षण को लेकर और नेताजी कुर्सी की सलामती को लेकर इस संसार में चारों ओर घमासान मचा हुआ है
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2024-10-23 15:41:15

पीलीभीत ज़िला संवाददाता सबलू खा इस संसार में बहुत सी लड़ाइयां बेवजह की होती है कोई जाति के लिए लड़ रहा है तो कोई धर्म के लिए लड़ रहा है तो कोई अमीरी और गरीबी तो कोई प्रमोशन या आरक्षण को लेकर और नेताजी कुर्सी की सलामती को लेकर इस संसार में चारों ओर घमासान मचा हुआ हैl बड़ा अफसोस है सृष्टि के रचयिता द्वारा सभी जीवो को हर पल ऑक्सीजन जल मिट्टी फल प्रकाश बिना किसी भेदभाव के दिया जाता है ना उसके लिए कोई हिंदू है, ना मुस्लिम, सिख और ईसाई, यदि उसकी निगाह में कोई है तो सिर्फ इंसान हैl न जाने किसकी नजर लग गई और क्या हो गया सोने की चिड़िया कहा जाने वाले भारत मे कहीं भी इंसानियत को लेकर एक साथ आवाज उठाकर एकता की लड़ाई नहीं लड़ी जा रही। याद करो वह दिन जब अंग्रेजों की गुलामी से भारत को आजाद करने के लिए ना कोई हिंदू, मुसलमान, सिख, एक आगे आया था, उस समय भारत के हर कोने से एक ही आवाज आ रही थी वंदे मातरम भारत माता की जय चाहे अशफाक हो या राम प्रसाद बिस्मिल या चंद्रशेखर आजाद या सरदार भगत सिंह ठाकुर रोशन सिंह सब भारत माता के वीर सपूत थे, क्योंकि एकता में ही अनेकता का परिचय देते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था, क्योंकि वहां पर धर्म भाषा नहीं उनकी इंसानियत लड़ रही थी, तो फिर आज इस देश में कौन है वह लोग जो इंसानियत को लड़ा कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं l भारत के हर नौजवान को हिंदू, मुस्लिम, सिख, व्यापारी वर्ग और किसान को गंभीरता से सोचने का विषय है। हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना पड़ेगा नहीं तो फिर हमारा भारत एक दिन गुलाम हो जाएगा और हर और रक्त रंजित सड़के दिखाई पड़ेगी, जैसे जलियांवाला बाग कांड में ना हिंदू मरा था न सिख मरा था अगर कोई मरा था तो केवल भारतीय मानवता और इंसानियत का कत्ल हुआ था। आज हमें किसी विदेशी अंग्रेज से लड़ने की आवश्यकता नहीं है। आज के समय में जो स्वदेशी होकर समाजसेवी, धर्मात्मा, गरीबों के मसीहा का आडम्बर करके निजी स्वार्थ की पूर्ति अंग्रेज की चाल पर कर रहे हैं। हम सबको इन से बचने और समझने की आवश्यकता है, जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर शिष्टाचार में बदलकर अपनी जेब गर्म कर रहे हैं, और दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैंl हमारे समाज के रक्षक और गरीबों को मसीहा व्यापारियों से टैक्स वसूली के पैसे को विकास कार्य की जगह स्वयं की सुरक्षा पर ज्यादा खर्च किया जा रहा है क्योंकि ऐसे समाजसेवी लोग अपने आपको असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। इसलिए अभी समय है कुछ नहीं बिगड़ा भाषा धर्म जाति को छोड़ दो सबसे पहले इंसानियत धर्म अपने की कोशिश करो नहीं तो अपने घर में ही तुम सुरक्षित नहीं रह पाओगे, एक भाई दूसरे भाई को हमला करके घायल करने की कोशिश कर रहा है, इसलिए आने वाला समय अगर अभी से नहीं रोका गया तो बहुत बड़ा घातक सिद्ध मानव जाति के लिए हो सकता है।

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