2023-07-19 13:54:12
बिहार में सोशल मीडिया के कई पत्रकारों के खिलाफ सरकार ने कठोर कदम उठाया है कुछ दिन पहले एक चैनल के पत्रकार को इसलिए सलाखों के पीछे डाल दिया गया क्योंकि उसने एक व्यक्ति से बात की और उसने बिहार के मुख्यमंत्री को बहुत सारे अपशब्द कहा मनीष कश्यप पर आरोप है कि उसने जानबूझकर तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के पीटे जाने का वीडियो वायरल किया जो झूठी खबर थी और इससे बड़ा तनाव उत्पन्न हो गया पर उसके पहले कई सारे अखबारों ने यह झूठी खबर छापी और माफीनामा मांग कर इतिश्री कर ली मनीष कश्यप के खिलाफ रासुका लगाया गया है जो आमतौर पर आतंकियों के खिलाफ लगाया जाता है मनीष कश्यप के सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की नज है खबर है कि उससे जुड़े तमाम लोगों के डिटेल फिर से खंगाले जा रहे हैं। बिहार में खुद को सोशल मीडिया का तमगा वाला पत्रकार घोषित करने की होड़ में कई सारे ऐसे स्वघोषित दूध के धुले पत्रकार हैं जो इसलिए डिजिटल मीडिया पर छाए क्योंकि उन्होंने पब्लिक ओपिनियन के दौरान लोगों से जब मुख्यमंत्री या किसी बड़े नेता के बारे में पूछा और अगला व्यक्ति गाली देने की शैली में जवाब दिया। बिहार पुलिस बताएं कि छोटे पत्रकारों पर कार्रवाई हो गई और मिलीयन व्यू वाले उन वीडियो के डिजिटल पत्रकार और चैनलों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई एक ही प्रदेश में दो तरह के कानून क्यों है उसको इसलिए छोड़ दिया गया है कि वह सरकार के समर्थन में जातीय उन्माद फैला रहे हैं और खुलेआम पत्रकार कम गुंडई ज्यादा कर रहे हैं अगर पुलिस और सरकार का रवैया निष्पक्ष रहता तो ऐसे लोग सलाखों के पीछे होते जो किसी भी जाति धर्म के हो पर उनकी खबर बोली और उनके नौटंकी से समाज में जहर फैल रहा है।
अनूप नारायण सिंह, वरिष्ठ पत्रकार एवं सदस्य फिल्म सेंसर बोर्ड कोलकाता, (सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार)