2025-03-25 21:53:51
अग्रोहा के पुरातात्विक स्थल में उत्खनन का कार्य लगभग 44 वर्षों के बाद मंगलवार को पुन: आरंभ हुआ। उत्खनन स्थल पर ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत पंडित दीनदयाल उपाध्याय संस्थान के 2025 बैच के छात्रों का प्रशिक्षण शिविर भी आरंभ हुआ। पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की उप निदेशक बनानी भट्टाचार्य ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यहां लगभग 40 वर्षों से अधिक के समय के बाद उत्खनन का कार्य आरंभ हुआ है। उन्होंने बताया कि मंगलवार को हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री असीम गोयल ने उत्खनन कार्य का निरीक्षण किया और पंडित दीन दयाल उपाध्याय पुरातत्व संस्थान के 2025 बैच के छात्रों को प्रशिक्षण के लिए शुभकामनाएं दी। गौरतलब है कि अग्रोहा के पुरातात्विक स्थल को महान राजा महाराजा अग्रसेन की राजधानी माना जाता है। अग्रोहा शहर तक्षशिला और मथुरा के बीच प्राचीन व्यापार मार्ग पर स्थित था। इसलिए यह फिरोज शाह तुगलक (1351-88 ई.) के हिसार-ए-फिरोजा (हिसार-1354 ई.) की नई बस्ती के अस्तित्व में आने तक वाणिज्य और राजनीतिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना रहा। साइट से चार इंडो-ग्रीक, एक पंच-मार्क और अग्रोदक के 51 सिक्कों का एक संग्रह मिला था। खुदाई के दौरान अग्रोहा जनपद (गणराज्य) के सिक्कों की खोज और महाभारत सहित प्राचीन साहित्य में इसका प्राचीन नाम अग्रोदक होना इस बात के प्रमाण के लिए पर्याप्त जानकारी है कि यह गणराज्य का मुख्यालय था। इस स्थल की खुदाई 1888-89 में सीजे रोजर्स द्वारा की गई थी और 1938-39 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एचएल श्रीवास्तव द्वारा लगभग 3.65 मीटर की गहराई तक पुन: खुदाई की गई थी। इस स्थल की आगे खुदाई हरियाणा सरकार के पुरातत्व और संग्रहालय विभाग के पीके शरण और जेएस खत्री द्वारा 1978-84 में की गई थी। इस स्थल पर पुरातात्विक उत्खनन से लगभग चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से 14वीं शताब्दी ईस्वी तक एक किलेबंद बस्ती और निरंतर निवास का पता चला है। बीते युग की पुरावशेषों में सिक्के, टेराकोटा की वस्तुएं, मुहर, सीलिंग, पत्थर की मूर्तियां, खेलने की चीजें, विभिन्न सामग्रियों के आभूषण आदि शामिल हैं।