2025-03-10 16:20:55
समाज में महिलाओं के योगदान और उनकी उपलब्धियों पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए पूरे विश्वभर में तथा देश के विभिन्न क्षेत्रों में 8 मार्च का दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। चूंकि महिलाएं हरेक परिवार,समाज और राष्ट्र के उत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं,इसलिए महिलाओं की कामयाबियों को याद करने तथा पूरी महिला बिरादरी को सम्मान देने व उनके द्वारा किए गए साहसिक कार्यों की सराहना करने के लिए इस दिन अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।अब बात जब इस सालाना महिला उत्सव के खास दिन पर राज्य के चरखी दादरी जिले के गांव कादमा निवासी कुशल गृहिणी संतोष देवी की करें तो उनका मानना है कि अगर दिल में कुछ कर दिखाने का जोश और जुनून हो तो मंजिल तक पहुंचने का हर रास्ता आसान हो जाता है।वैसे भी संतोष देवी की गिनती मृदुभाषी,शांत स्वभाव,मेहनती,समय की पाबंद होने के साथ-साथ व्यवहार कुशल महिलाओं में की जाती है।अपने पुराने जमाने में पढ़ाई के अभाव में अनपढ़ होते हुए भी उन्होंने उस वक्त की कमजोर आर्थिक स्थिति में भी संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियों को बख़ूबी ढंग से निभाया।अपनी कड़ी मेहनत व लग्न के बल से उन्होंने अपने सास ससुर की सेवा के साथ अपने पांच बेटों और एक बेटी को स्नातकोत्तर तक पढ़ाया जो सभी आज सरकारी सेवाओं में अपना योगदान दे रहे हैं। गृहिणी संतोष देवी ने बताया कि उनके पति टीचर थे,उनके स्कूल जाने के साथ ही बच्चों को भी तैयार कर स्कूल भेजती थी।इसके बाद घर का काम काज निपटाने के बाद पशुओं की देखभाल और खेतीबाड़ी के कार्यों में भी हाथ बंटाती थी,जो आज भी जारी हैं।अपने अनुभव और संघर्ष की दास्तां बताते हुए संतोष देवी ने माना कि अनपढ़ होते हुए अपने कर्तव्य क्षेत्र में मुकाम हासिल करना आसान है,अगर जीत की जिद ठान ली जाए। किसी भी क्षेत्र में सफलता अर्जित करने के लिए पहले उस क्षेत्र में तपना पड़ता है,सोना भी आग में तपकर ही आभूषण बनता है