2023-09-04 14:19:05
ऐसी दशा में कोई भी पार्टी क्यों सीटों से समझौता करेगी? ऐसा ही पेच कई 2024 में भी उसे ज्यादा वोट मिलने की उम्मीद होगी।ऐसी दशा में कोई भी पार्टी क्यों सीटों से समझौता करेगी? ऐसा ही पेच कई राज्यों में दिखने वाला है।कम से कम पश्चिम बंगाल,गुजरात और महाराष्ट्र और पंजाब में तो बहुत मुश्किल होगी।
इसके आलावा इंडिया अलायन्स के जो नेता ये कह रहे हैं कि विपक्षी एकता से मोदी डर गए हैं, मोदी नर्वस हैं, वे शायद मोदी को जानते ही नहीं। जो लोग कह रहे हैं कि मोदी, विरोधी दलों की एकता से घबरा गए हैं, वे नहीं जानते कि मोदी किस मिट्टी के बने हैं। नर्वस होना, डरना, घबराना ये मोदी की फितरत में है ही नहीं। 13 साल पहले जब वह गुजरात में मुख्यमंत्री थे तो मोदी पर कौन सा हमला नहीं हुआ? उन्हें मौत का सौदागर कहा गया, मुसलमानों का हत्यारा कहा गया। पुलिस भी आई, एसआईटी भी बनी, पूछताछ भी हुई, कोर्ट में केस चले, मीडिया के हमले हुए, अमेरिका ने वीजा नहीं दिया, पूरी दुनिया में बदनामी हुई। केंद्र सरकार ने मोदी को पिन डाऊन करने के लिए पूरी ताकत लगा दी। उस्ताद पुलिस अफसर, चालाक ब्यूरोक्रैट, चतुर राजनेता सब मिलकर मोदी के पीछे लग गए। मेधा पाटकर, तीस्ता सीतलवाड़ जैसे न जाने कितने एनजीओ वाले मोदी को घेरने की कोशिश करते रहे।
पर मोदी इन सारे हमलों का सामना करते रहे, बिना डरे लड़ते रहे, गुजरात में चुनाव जीतते रहे। जब मोदी लोकसभा का चुनाव लड़े तो सारे विरोधी दल इसी तरह मोदी के खिलाफ थे जैसे आज हैं। सब कहते थे मोदी कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे। सब मानकर बैठे थे कि मोदी चुनाव नहीं जीत पाएंगे, लेकिन मोदी ने सबको धूल चटा दी। दूसरी बार चुनाव हुआ तो चौकीदार चोर है का नारा लगा। मोदी को उद्योगपतियों का दोस्त, किसानों का दुश्मन साबित करने की भरपूर कोशिश हुई, लेकिन पब्लिक पर इसका कोई असर नहीं हुआ। इस बार इल्जाम तानाशाही का है, लोकतंत्र की तबाही का है, पर अभी तक कोई साबित नहीं कर पाया कि मोदी ने लोकतंत्र के विरोध में ऐसा क्या किया है। विरोधी दलों ने कहा कि मोदी इस बार जीत गए तो देश में कभी चुनाव नहीं होंगे।
मोदी ने इसका जवाब दे दिया कि वह लोकसभा, विधानसभा, पंचायत सारे चुनाव कराना चाहते हैं, एकसाथ कराना चाहते हैं ताकि लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हों। हर सरकार को, राज्य में हों या केंद्र में, पांच साल बिना किसी बाधा के काम करने का मौका मिले। इसीलिए मोदी को हराने के नाम पर एक हुए विरोधी दलों के नेता 9 साल में भी मोदी को पहचान नहीं पाए। वे समझ नहीं पाए कि मोदी किधर जा रहे हैं। वे इसी गलतफहमी में हैं और रहेंगे कि मोदी डर गए और मोदी किसी और रास्ते से आ जाएंगे।