2024-09-21 17:54:46
नई दिल्ली: चौहान अनिल- दिव्य कला मेला 2024 का विशाखापत्तनम में किया गया भव्य उद्घाटन: दिव्यांग कारीगरों की असाधारण प्रतिभाओं का उत्सवविशाखापत्तनम– बहुप्रतीक्षित 19 वां दिव्य कला मेला आज विशाखापत्तनम में आंध्र प्रदेश के माननीय राज्यपाल एस.अब्दुल नजीर द्वारा विधिवत रूप से उद्घाटित किया गया। इस विशेष अवसर पर माननीय केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, विशाखापत्तनम के माननीय सांसद भारत मुथुकुमिल्ली (लोकसभा), माननीय सांसद. बाबू राव (राज्यसभा) और अन्य सम्मानित अतिथि गड़ उपस्थित थे।सशक्तिकरण और एकता का मंच ! उद्घाटन समारोह के दौरान इस भव्य आयोजन की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए कई महत्वपूर्ण गतिविधियां की गईं। डॉ. वीरेंद्र कुमार ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की 100 दिनों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जिसमें दिव्यांगजन के सशक्तिकरण के प्रति मंत्रालय की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया। स्वच्छता शपथ: सभी गणमान्य अतिथियों और उपस्थित लोगों ने स्वच्छता शपथ ली, जिससे स्वच्छता और सामुदायिक जिम्मेदारी के महत्व को मजबूत किया गया।रियायती ऋण वितरण: एनडीएफडीसी (नेशनल दिव्यांगजन वित्त और विकास निगम) की योजनाओं के तहत 10 दिव्यांग लाभार्थियों को उनके उद्यमशीलता के सपनों को समर्थन देने के लिए ₹40 लाख के ऋण वितरित किए गए। सहायक उपकरण वितरण: एचपीसीएल, गेल इंडिया लिमिटेड, आईओसीएल और कोरोमंडल इंडिया लिमिटेड जैसे सीएसआर भागीदारों के सहयोग से दिव्यांगजनों को सहायक उपकरण वितरित किए गए, जिससे उन्हें विभिन्न सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने में मदद मिली। इसके साथहीवी माननीय राज्यपाल का संदेश: माननीय राज्यपाल श्री एस. अब्दुल नज़ीर ने अपने संबोधन में दिव्य कला मेले को दिव्यांग कारीगरों के लिए एक प्रभावशाली मंच के रूप में सराहा। उन्होंने कहा, यह मेला न केवल दिव्यांग उद्यमियों को सशक्त बनाता है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर उनकी प्रतिभा और रचनात्मकता को प्रदर्शित करते हुए समावेशी समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है।केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री, डॉ. वीरेंद्र कुमार ने गर्व के साथ कहा, दिव्य कला मेला दिव्यांगजनों की अविश्वसनीय क्षमता का प्रतीक है। यह उन्हें अपने कौशल और रचनात्मकता को प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। यह पहल समावेशी भारत की दिशा में हमारी यात्रा का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।दिव्य कला मेले में 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लगभग 100 दिव्यांग कारीगर भाग ले रहे हैं। इस मेले में हस्तशिल्प, हथकरघा, कढ़ाई और पैकेज्ड खाद्य उत्पादों सहित उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। यह मंच दिव्यांग कारीगरों को उनके उत्पादों के विपणन और वित्तीय स्वतंत्रता के लिए व्यापक अवसर प्रदान करता है।11 दिवसीय यह कार्यक्रम, प्रतिदिन सुबह 11:00 बजे से रात 9:00 बजे तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें दिव्यांग कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ-साथ देशभर के क्षेत्रीय व्यंजनों का आनंद लेने के लिए कई फूड स्टॉल भी शामिल होंगे। यह आयोजन वोकल फॉर लोकल की भावना को प्रबल करता है, जिसमें दिव्यांग कारीगरों की अनूठी प्रतिभाओं और उनके शिल्प को प्रोत्साहन दिया जाएगा। दिव्य कला मेला 2024, न केवल दिव्यांग कारीगरों के लिए एक प्रमुख मंच है, बल्कि यह समाज को एकजुट करने और समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने का एक अनूठा अवसर भी है। इस मेले के माध्यम से सरकार का उद्देश्य दिव्यांगजनों की रचनात्मकता और कौशल को एक नई पहचान देना है, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिले।