2024-01-03 15:44:00
बांदा। श्रीमद भागगत कथा, पुराण यज्ञ के छठवें दिन सुदाम चरित्र की कथा का वर्णन किया गया। इसमें भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती ने दुनिया को यह संदेश दिया कि राजा हो या रंक दोस्ती में सब बराबर होते हैं। कथा के अंतिम दिन श्रोताओं की खूब भीड़ उमड़ी।महेश्वरी देवी मंदिर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास पं विजय कृष्ण शास्त्री श्री वृंदावन द्वारा कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां है। द्वारपाल के मुख से पूछत दीनदयाल के धाम, बतावत आपन नाम सुदामा सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए।
यह सब देख वहां लोग यह समझ ही नहीं पाए कि आखिर सुदामा में ऐसा क्या है जो भगवान दौड़े दौड़े चले आए। बचपन के मित्र को गले लगाकर भगवान श्रीकृष्ण उन्हें राजमहल के अंदर ले गए और अपने सिंहासन पर बैठाकर स्वयं अपने हाथों से उनके पांव पखारे। कहा कि सुदामा से भगवान ने मित्रता का धर्म निभाया और दुनिया के सामने यह संदेश दिया कि जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन नहीं हो सकता। राजा हो या रंक मित्रता में सभी समान हैं और इसमें कोई भेदभाव नहीं होता। कथावाचक ने सुदामा चरित्र का भावपूर्ण सरल शब्दों में वर्णन किया कि उपस्थित लोग भाव विभोर हो गए।) कथा परीक्षित रामदास साहू, राजाबेटी साहू विनीत बुद्धूलाल साहू, रामबाई साहू।
शिल्लू महाराज,दीपक, जीतेन्द्र सिंह, पवन, संदीप, संतोष, आशा,आरती यादव,वंदना, अंगद आदि मौजूद रहे!