आवंटन किए जाने के बावजूद 15 मार्च तक कई विकास योजनाओं पर शून्य व्यय किया,पूर्व वित्तमंत्री

पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रो. संपत सिंह ने कहा है
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2025-03-16 16:32:01

पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रो. संपत सिंह ने कहा है कि हरियाणा सरकार ने चालू वित्त वर्ष के बजट में इनके लिए आवंटन किए जाने के बावजूद 15 मार्च तक कई विकास योजनाओं पर शून्य व्यय किया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि 215 ऐसी योजनाओं को 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए कुल 6,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। कृषि और किसान कल्याण के लिए सब्सिडी वाले उपकरणों और कृषि योजनाओं के लिए 347.15 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन व्यय शून्य था। पंचायत और विकास विभाग ने राज्य वित्त आयोग के तहत ग्रामीण विकास के लिए आवंटित 848.00 करोड़ रुपये में से शून्य राशि खर्च की। उन्होंने कहा कि कैंसर की रोकथाम और आयुष्मान भारत इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 75 करोड़ रुपये की योजना पर शून्य खर्च हुआ। फरीदाबाद स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए आवंटित 100 करोड़ रुपये में से एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ। स्वच्छ भारत मिशन और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के लिए आवंटित 365 करोड़ रुपये में से भी खर्च शून्य रहा। शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा के मामले में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा मिशन (60 करोड़ रुपये), निफ्ट पंचकूला (10 करोड़ रुपये), सार्वजनिक पुस्तकालय (30 करोड़ रुपये) और राष्ट्रीय विज्ञान नगर, सोनीपत (70 करोड़ रुपये) जैसी उच्च शिक्षा योजनाओं पर कोई पैसा खर्च नहीं किया गया। दीनदयाल सेवा बस्ती उत्थान योजना पर 30 करोड़ रुपये के आवंटन के बावजूद शून्य व्यय हुआ। प्रारंभिक शैक्षणिक योजनाओं पीएम श्री स्कूल योजना और सुविधा विस्तार के लिए 99 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, लेकिन खर्च शून्य रहा। प्रधानमंत्री आवास योजना ‘सबको घर’ के लिए 361.83 करोड़ रुपए में से केवल 2 करोड़ रुपए खर्च किए गए। फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए 74 करोड़ रुपए आवंटित किए गए, लेकिन खर्च की गई राशि शून्य रही। वन एवं वन्य जीव के मामले में राज्य प्रतिपूरक वनरोपण (225 करोड़ रुपए), वन सुरक्षा एवं संवर्धन, इको क्लब (10.50 करोड़ रुपए) पर कोई राशि खर्च नहीं की गई। अग्निशमन सेवाओं को मजबूत करने के मामले में 250 करोड़ रुपए में से कोई राशि खर्च नहीं की गई। लोक स्वास्थ्य विभाग की अमृत जलापूर्ति एवं जल जीवन योजना के लिए 698 करोड़ रुपए के बजट में से शून्य राशि खर्च की गई। अमृत योजना सीवरेज के लिए अमृत योजना के मामले में 144 करोड़ रुपए में से केवल 96 लाख रुपए खर्च किए गए। प्रो. सिंह ने तर्क दिया कि इन योजनाओं की घोषणा केवल राजनीतिक लाभ के लिए की गई थी, और सरकार का शुरू से ही इन्हें लागू करने का कोई वास्तविक इरादा नहीं था। उन्होंने इस दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए इसे केंद्र और राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकारों की पहचान बताया। इसके अलावा, उन्होंने इस जुमलेबाजी को राज्य विधानसभा और लोगों दोनों को गुमराह करने वाला बताया। पूर्व वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि कई महत्वपूर्ण सरकारी विभाग अपने आवंटित धन की पूरी राशि का उपयोग करने में विफल रहे हैं। कृषि विभाग ने अपने आवंटन का 85%, पंचायत एवं विकास ने 70%, पशुपालन एवं आयुष विभाग ने 75%, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने 85%, महिला कल्याण ने 70%, महिला एवं बाल विकास ने 64% खर्च किया। इसके अतिरिक्त, खाद्य एवं औषधि, जन स्वास्थ्य, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, ग्रामीण विकास तथा महिला एवं बाल कल्याण विभाग भी अपने आवंटन का पूर्ण उपयोग करने में विफल रहे। प्रो. सिंह ने हरियाणा के लोगों से भविष्य में इस तरह की हेराफेरी और गलत सूचना को रोकने के लिए सरकार के कामकाज पर कड़ी निगरानी रखने का आग्रह किया।

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