हासिये पर धकेले गये अधिकार वंचित लोगों को संवैधानिक अधिकार,

सामाजिक न्याय देने वाले भारत रत्न जननायक श्री कर्पूरी ठाकुर जी की 101 वीं जयंती 24 जनवरी 2025 पर आले वरिष्ठ समाजसेवी सतीश चंद्र नायक से अनुपम संदेश की खास बातचीत
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2025-01-22 19:42:53

अलीगढ : कर्पूरी ठाकुर बिहार में एक बार उप मुख्यमंत्री दो बार मुख्यमंत्री और दशकों तक विधायक और नेता विरोधी दल रहे।1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद वे बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे कोई जातीय बल,धन बल, बाहुबली नहीं फिर कौन सी ताकत थी जो बिहार प्रदेश में शिखर की राजनीति में पहुंचने से नहीं रोक सकी। एक उदाहरण से समझने का प्रयास किया जा सकता है। कर्पूरी जी के मुख्यमंत्री रहते हुए ही उनके क्षेत्र के कुछ सामंती जमीदारों ने उनके पिता को सेवा के लिए बुलाया। जब वह बीमार होने के नाते नहीं पहुंच सके तो जमींदार ने अपने लठैतों से मारपीट कर लाने का आदेश दिया। जिसकी सूचना किसी प्रकार जिला प्रशासन को हो गई तो तुरंत जिला प्रशासन कर्पूरी जी के घर पहुंच गया और उधर लठैत पहुंचे ही थे। लठैतों को बंदी बना लिया गया किंतु कर्पूरी ठाकुर जी ने सभी लठैतों को जिला प्रशासन से बिना शर्त छोड़ने का आग्रह किया तो अधिकारीगणों ने कहा कि इन लोगों ने मुख्यमंत्री के पिता को प्रताड़ित करने का कार्य किया इन्हें हम किसी शर्त पर नहीं छोड़ सकते हैं। कर्पूरी ठाकुर जी ने कहा इस प्रकार के पता नहीं कितने असहाय लाचार एवं शोषित लोग प्रतिदिन लाठियां खाकर दम तोड़ते हैं कहां तक किस-किस को बचाओगे। क्या सभी मुख्यमंत्री के मां-बाप हैं। इनको इसलिए दंडित किया जा रहा है कि इन्होने मुख्यमंत्री के पिता को उत्पीड़ित किया है, सामान्य जनता को कौन बचाएगा। जाओ प्रदेश के कोने में शोषण उत्पीड़न के खिलाफ अभियान चलाओ और एक भी परिवार सामंतों के जुल्मों सितम का शिकार न होने पाये लठैतों को कर्पूरी जी ने छुड़वा दिया। इस प्रकार कार्य से उन्हें पक्षपात एवं मानवता का मसीहा कहा जाना अतिशयोक्ति नहीं है। एक और यह प्रबल उदाहरण है। की आजादी से पूर्व तथा आजादी के पश्चात भी टचेविल वर्ग, अधिकार वंचितों की उठ रही आवाज को दबाया जाता रहा है। जेसे 1950 में भारतीय संविधान लागू किया जाता है और 1951 में पहला संविधान संशोधन करके 15 (4) 16 (4) को जोड़ने की क्या आवश्यकता रही होगी ?भारत का चुनाव 1952 में कराया गया 1953 में वंचित टचेबल वर्ग को अधिकार दिए जाने के लिए काका कालेलकर आयोग का गठन किया गया 1955 में उक्त आयोग की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई लागू किए जाने की मांग उठ रही थी यहां भी सरकार की मंशा अधिकार देने की नहीं रही 1961 में संशोधन करके अपना पल्ला झाड़ने हुए राज्य सरकारों को अधिकार दिया यदि आप चाहे तो अपने राज्य में टचेबल वंचित वर्ग को आयोग की रिपोर्ट के अनुसार आरक्षण के आधार पर अधिकार दे सकते हैं। आवाज निरंतर उठाती रही 1971 में बिहार सरकार द्वारा मुंगेरीलाल आयोग का गठन तथा 1975 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा छेदीलाल साथी आयोग का गठन किया गया। बिहार प्रदेश में जननायक कर्पूरी ठाकुर की सरकार ने 11 नवंबर 1978 को मुंगेरीलाल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार छड़ा,अति पिछड़ा,महिला एवं सामान्य वर्ग को अधिकार देते हुए उप वर्गीकरण के आधार से आरक्षण लागू कर दिया गया जिसे कपूरी ठाकुर फार्मूले के नाम से जाना जाता है। ऐसा किए जाने के फल स्वरुप अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी गवानी पड़ी लेकिन देश में वंचित टचेबल कामगार वर्ग आरक्षण की मांग उठाता रहा इसके फल स्वरुप तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई सरकार ने 1979 में बीपी मंडल आयोग का गठन किया गया उसकी रिपोर्ट तथा लागू किया जाना आज भी सवालों के घेरे में है। आवाज निरंतर उठ रही है इसके चलते उप वर्गीय करण कर्पूरी ठाकुर फार्मूले की आवाज पर देश के 12 प्रदेशों में आरक्षण लागू किया जा चुका है। लेकिन उत्तर प्रदेश में 1975 की छेदीलाल साथी आयोग की रिपोर्ट तत्कालीन मा०मुख्यमंत्री श्री राम नरेश यादव जी, मा०मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव जी, मा०मुख्यमंत्री श्री राजनाथ सिंह जी,मा०मुख्यमंत्री सुश्री बहन कुमारी मायावती जी,मा०मुख्यमंत्री श्री कल्याण सिंह जी,मा०मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी, ने छेदीलाल साथी आयोग की सिफारिश को कचरे के डिब्बे में डालने के समान समझा गया और लागू नहीं किया गया। तथा वर्तमान मा०मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा भी छेदीलाल साथी आयोग की रिपोर्ट पर कोई ध्यान न देते हुए राघवेंद्र प्रसाद सामाजिक न्याय कमेटी का गठन किया गया सरकार को मिली रिपोर्ट लंबे समय से धूल फाक रही है तथा इसे उजागर नहीं किया गया है। यही हाल भारत सरकार द्वारा गठित रोहिणी आयोग की रिपोर्ट लंबे समय से इंतजार कर रही है उसे भी उजागर नहीं किया गया है। भारत सरकार द्वारा सामाजिक न्याय,समाजवादी आंदोलन के श्री कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी सादगी और ईमानदार व्यक्तित्व की मिसाल,बेदाग जीवन का तोहफा भारत रत्न के रूप में देश में बड़े ही हर्षोल्लास एवंम गुणगान के साथ दिया गया टचेबल अति पिछड़े वर्ग को बड़ी ही आशा और विश्वास की किरण नजर आ रही है की कर्पूरी ठाकुर फार्मूले की तर्ज पर देश एवं प्रदेश में हमें अधिकार दिया जाएगा। भारत रत्न जननायक श्री कर्पूरी ठाकुर जी की 101 वीं जयंती 24 जनवरी 2025 पर समर्पित आशा और उम्मीद के साथ।

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