2025-03-18 20:16:59
अनुपम सन्देश मुरादाबाद। पत्रकारिता को भारत के संविधान का चौथा स्तंभ कहा जाता है और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भी पत्रकार और पत्रकारिता के कार्य की सहाराना समय-समय पर की जाती है और उनके अधिकारों और कर्तव्य के बारे में अधिकारियों को आदेशित किया जाता है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पत्रकारिता जगत में ऐतिहासिक फैसला दिया गया है मगर फिर भी कुछ सरकारी विभाग पत्रकारों का अपमान करने तथा उनकी निष्पक्ष पत्रकारिता को ठेस पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं ऐसे ही एक मामले की शिकायत लेकर मंडल आयुक्त के पास पहुंचे पेशे से पत्रकार अब्दुल रहीम ने प्रार्थना पत्र देकर शिकायत करते हुए कहा कि आरटीओ कार्यालय मुरादाबाद में आरटीओ प्रशासन राजेश सिंह से आगामी त्यौहारों पर यातायात के प्रति जागरूकता के सम्बन्ध में बाईट लेने अपने साथी नकी अहमद के साथ पहुँचा था। आरटीओ प्रशासन के कार्यालय के बाहर बैठे चपरासी मौर्या से जब आरटीओ प्रशासन से मिलने का प्रस्ताव रखा तो उसने अभर्द भाषा का प्रयोग करते हुए मिलने से मना कर दिया जिस पर पत्रकार अब्दुल रहीम ने मौर्या से अभर्द भाषा का प्रयोग करने से मना किया तो चपरासी मौर्या मारपीट करने पर आमादा हो गया और मारने के लिये हाथ उठाने लगा इस घटना के बारे में पत्रकार अब्दुल रहीम आरटीओ प्रशासन राजेश सिंह से शिकायत करने गये तो राजेश सिंह भी चपरासी मौर्या का पक्ष करने लगे। पत्रकार अब्दुल रहीम के साथी नकी अहमद द्वारा आरटीओ प्रशासन को सही जानकारी देने का प्रयास किया गया तो राजेश सिंह ने बहाना करके नकी अहमद को टाल दिया। यह सारा मामला कार्यालय के सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है। रिटायर्ड चपरासी मौर्या को दोबारा आरटीओ कार्यालय में तैनाती दे दी गई है। और आला अधिकारी उसका पक्ष लेते रहते हैं यह जांच का विषय है कि रिटायर्ड चपरासी को कार्यालय में तैनाती कैसे दी गई है। और सभी अधिकारी चपरासी मौर्या से इतना लगाव क्यूँ रखते हैं। जब एक पत्रकार के साथ इस तरह का व्यवहार आरटीओ कार्यालय में किया जाता है तो आम आदमी के साथ कितना बुरा व्यवहार किया जाता होगा। आरटीओ कार्यालय के अधिकारियों चपरासियों की कार्यशैली इस तरह की होगी इस पर विचार करना अनिवार्य है जिससे आने वाले वक्त में किसी अन्य पत्रकार या आम नागरिक के साथ ऐसा न हो। सूत्रों की माने तो रिटायर्ड कर्मचारी वहां के अधिकारियों के लेनदेन के लिए काफ़ी फायदेमंद है जिसकी वजह से उसे आरटीओ कार्यालय में चपरासी के पद पर रिटायरमेंट के बाद भी रख लिया गया है अगर इसकी निष्पक्ष जांच हो तो आरटीओ कार्यालय में चल रहे एक बड़े खेल का खुलासा होने की संभावना है