2024-01-16 13:40:18
बांदा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की अतर्रा नगर इकाई के सदस्यो और पदाधिकारियों ने जहाँ आज धार्मिक त्यौहार मकर संक्रांति के अवसर पर लोग विभिन्न प्रकार के पकवानो के साथ पर्व का आनंद ले रहे थी वही विधार्थी परिषद ने जय जवान के साथ थल सेना दिवस को नगर के प्राचीन मंदिर गौरा बाबा धाम मे युवा ऊर्जा के साथ मनाया. चुकि भारत में थल सेना दिवस देश के जांबाज रणबांकुरों की शहादत पर गर्व करने का एक विशेष मौका है। 15 जनवरी, 1949 के बाद से ही भारत की सेना ब्रिटिश सेना से पूरी तरह मुक्त हुई थी, इसीलिए 15 जनवरी को थल सेना दिवस घोषित किया गया। यह दिन देश की एकता व अखंडता के प्रति संकल्प लेने का दिन है।
यह दिवस भारतीय सेना की आज़ादी का जश्न है। यह वही आज़ादी है, जो वर्ष 1949 में 15 जनवरी को भारतीय सेना को मिली थी। इस दिन के.एम. करिअप्पा को भारतीय सेना का कमांडर-इन-चीफ़ बनाया गया था। इस तरह लेफ्टिनेंट करिअप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे। इसके पहले यह अधिकार ब्रिटिश मूल के फ़्राँसिस बूचर के पास था और वह इस पद पर थे। वर्ष 1948 में सेना में तकरीबन 2 लाख सैनिक ही थे, लेकिन अब 11 लाख, 30 हज़ार भारतीय सैनिक थल सेना में अलग-अलग पदों पर कार्यरत हैं। भारतीय सेना का गौरवशाली इतिहास रहा है। देश की राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दिन सेना प्रमुख दुश्मनों को मुँहतोड़ जवाब देने वाले जवानों और जंग के दौरान देश के लिए बलिदान करने वाले शहीदों की विधवाओं को सेना मैडल और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित करते हैं।
हर वर्ष जनवरी में थल सेना सेना दिवस मनाया जाता है और इस दौरान सेना अपने दम-खम का प्रदर्शन करने के साथ ही उस दिन को पूरी श्रद्धा से याद करती है विधार्थी परिषद ऐसे देश सपूतो को नमन करती है। कार्यक्रम में पंडित शिव दत्त त्रिपाठी. वीरेंद्र कुमार दीक्षित. ऋषभ सिंह.अभय. आशुतोष.अमन. आशीष आदि मौजूद रहे!