महिला सशक्तिकरण की ओर बढ़ते कदम

News

2022-10-07 06:51:43

देशभर में बुधवार, 05 अक्टूबर 2022 को विजयादशमी यानी दशहरे की धूम रही। दशहरे के पर्व को भगवान श्री राम की रावण पर विजय के रूप में देखा जाता है, यह ठीक है, मगर इसमें नवरात्र का भी विशेष महत्व है। मां दुर्गा के पावन नवरात्रे 9 दिन के होते हैं, जिसके बाद दसवें दिन दशहरा होता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कहा जाता है कि इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था।

आज हम महिला सशक्तीकरण की बात कर रहे हैं। महिला सशक्तीकरण शब्द जब जुबान पर आता है तो स्वयं ही मन में अजीब सी अनुभूति होती है और महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना प्रकट होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला सशक्तीकरण एवं बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे स्लोगन दिये हैं, जिनका प्रत्यक्ष प्रभाव देखने को मिल रहा है। विश्व के एक बड़े लोकतंत्र में महिला राष्ट्रपति का होना स्वयं में गौरव की बात है। इससे न सिर्फ देश का बल्िक प्रत्येक देशवासी का सम्मान बढ़ा है। इस बार राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले मतदान में एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू का नाम दिया गया था। जिस पर द्रौपदी मुर्मू ने जीत हासिल कर भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला। द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा की आदिवासी महिला नेता हैं और झारखंड की गवर्नर रह चुकी हैं। द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले में 20 जून 1958 को एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था, जो अपनी परंपराओं के मुताबिक, गांव और समाज के मुखिया थे। द्रौपदी ने अपने गृह जनपद से शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की और कुछ समय तक इस क्षेत्र में काम किया। महिला सशक्ितकरण का एक उदाहरण तो यह कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर महिला को सम्मान मिला है। दूसरा यह कि संघ के कार्यक्रम में पहली बार किसी महिला को मुख्य अतिथि बनाया गया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर के रेशमबाग में वार्षिक विजयादशमी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पर्वतारोही संतोष यादव शामिल हुईं। स्मृति मंदिर में प्रमुख सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और मुख्य अतिथि पद्मश्री सन्तोष यादव ने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित की। मोहन भागवत ने इस दौरान कहा संघ के कार्यक्रमों में अतिथि के नाते समाज की महिलाओं की उपस्थिति की परम्परा पुरानी है। व्यक्ति निर्माण की शाखा पद्धति पुरुष व महिला के लिए संघ तथा समिति पृथक चलती है। बाकी सभी कार्यों में महिला पुरुष साथ में मिलकर ही कार्य संपन्न करते हैं। यहां कार्यक्रम में मोहन भागवत ने महिलाओं की समाज में भागीदारी को लेकर भी बड़ी बातें कहीं। समाज में महिलाओं की स्थिति को और बेहतर करने की बात कहीं। आपको बता दें कि ऐसा पहली बार हुआ है कि विजयदशमी कार्यक्रम में महिला चीफ गेस्ट बनीं।

डॉ. मोहन भागवत ने इस बार बात करते हुए कहा 2017 में विभिन्न संगठनों में काम करने वाली महिला कार्यकर्ताओं ने भारत की महिलाओं का सर्वांगीण सर्वेक्षण किया, सर्वेक्षण के निष्कर्षों से भी मातृशक्ति के प्रबोधन, सशक्तीकरण तथा उनकी समान सहभागिता की आवश्यकता अधोरेखित होती है। उन्होंने कहा कि संघ में, अपने कार्यक्रमों में बौद्धिक और कुशल महिला मेहमानों का स्वागत करने की एक पुरानी परंपरा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और राष्ट्र सेविका समिति द्वारा व्यक्तित्व निर्माण की शाखा पद्धति अलग-अलग संचालित की जा रही है। हालिया वर्षों में राष्ट्रीय पटल पर विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं को जो सम्मान मिल रहा है वह वास्तव में देश के लिए गौरव की बात है। राजनीति हो, खेल जगत हो, पुलिस-प्रशासनिक सेवा का क्षेत्र हो देश की बेटियां आज किसी भी क्षेत्र में देश एवं समाज का नाम रोशन कर रही हैं।

Readers Comments

Post Your Comment here.
Characters allowed :
Follow Us


Monday - Saturday: 10:00 - 17:00    |    
info@anupamsandesh.com
Copyright© Anupam Sandesh
Powered by DiGital Companion