शीर्षक लोकतांत्रिक नियमों की खिल्ली उड़ाता बिहार

बिहार की ऐतिहासिक भूमि हमेशा से गौरवमयी रहा है
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2023-09-01 13:16:56

लेखक - चंद्रकांत पूजारी गुजरात बिहार की ऐतिहासिक भूमि हमेशा से गौरवमयी रहा है, तब भी जब यहां राजतंत्र हुआ करती थी, और तब भी जब यहां लोकतंत्र हुआ करती थी। मगर अब बिहार में अफसरशाही शासन है जो लोकतांत्रिक नियमों की खिल्ली उड़ा रहा है। चाहे बिहार की पलटती ,बदलती राजनीति हो या या राज्य के कार्य संचालन के लिए बनाए गए विभाग?हर विभाग में उथल-पुथल और नीति नियमों का उल्लघंन होता देखा जा सकता है।

इधर दो-तीन दिनों के बिहार के अखबार पर नजर डाली जाय तो लगभग सभी अखबारों के मुख्यपृष्ठ पर रक्षाबंधन की छुट्टी की खबरें आ रही थी।चुकी बिहार के राज्यकर्मियों की अवकाश तालिका में रक्षाबंधन की छुट्टी 30 अगस्त को थी जबकि रक्षाबंधन 31 अगस्त को मनाया गया। शिक्षकों के अनुरोध पर 30अगस्त की की जगह 31अगस्त को अवकाश घोषित करने की मांग की गई क्योंकि रक्षाबंधन भाई-बहन का सबसे बड़ा त्यौहार होता है बहाने दूर-दूर से अपने भाई को राखी बांधने मायके आई हैं और भाई भी अपनी बहनों से राखी बंधवाने के लिए बहन के ससुराल दूर-दूर तक जाया करते हैं।

पहले तो बिहार की शिक्षा विभाग के द्वारा 30 की अगस्त की जगह, 31 अगस्त घोषित किया और उसके बाद फिर छुट्टी की नई अवकाश तालिका जारी कर दी जिसमें रक्षाबंधन समेत कई अन्य छुट्टियां की भी कटौती कर दी गई? भाई बहन के इस पवित्र त्यौहार पर जैसे कुठाराघात कर दिया गया जिससे शिक्षकों में खासी निराशा और आक्रोश है। बिहार के शिक्षा विभाग में अगर देखा जाए तो काफी उथल-पुथल मचा हुआ है अफसर शाही का पूरा प्रभाव बिहार की शिक्षा विभाग में देखा जा सकता है ,आज जो चिट्ठी को शिक्षा विभाग से निकाला जाता है ,कल इस चिट्ठी को तुरंत रद्द कर दिया जाता है ? जैसे यह बाजार में खरीदने वाली समान हो अगर पसंद नहीं आए तो उसे बदल लाया जाए। लोकतांत्रिक नियम यह कहता है कि कोई भी छुट्टी या कोई भी नियम सत्र शुरू होने पर लागू होते हैं ।एक कक्षा को एक सत्र के माध्यम से जाता है और यह सत्र पूरे 1 वर्ष का होता है और कोई भी नियम नीति अगर लागू होता है तो वह सत्र के प्रारंभ में लागू होता है।

बिहार में अफसर शाही है लोकतंत्र होता तो नियमों का पालन होता परंतु जब बात अफसरशाही की हो तो कोई नियम कोई कानून कोई व्यवस्था नहीं है, है तो सिर्फ मनमानी? यदि कुछ है तो सरकार के व्यक्तिगत नियम जिसके अंतर्गत राज्य कर्मी मजबूरी बस निभाने को तैयार हैं जैसे आज बहुत सारे भाई मन मार कर अपनी बहनों से राखी बंधवाने की जगह स्कूल जा पहुंचे और उदास मन से अपना विद्यालय का कार्य किया। जहां उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के रक्षाबंधन पर बहनों को सरकारी बसों में फ्री यात्रा करने की सुविधा देते है वहीं बिहार में बहनों को इस बार रुलाया गया ,जितने भी बिहार के शिक्षक हैं और उनकी जो बहने हैं सबों में इस बार उदासी देखी जा सकती है भारी मन से रक्षाबंधन मनाया है जो आज तक के इतिहास में कभी नहीं हुआ था। बिहार सरकार की नीति गलत नहीं है तो और क्या है किसी भी नीति नियम को सत्र के बीच में लागू नहीं किया जा सकता है सत्र प्रारंभ होने पर ही लागू किया जाता है मगर यहां किसी भी नियम की कोई औकात नहीं ना कोई मतलब है, आज कुछ और है और कल कुछ और है यह लोकतांत्रिक नियमों का उल्लंघन नहीं तो और क्या है?

सुधार और बदलाव जरूरी है बिहार की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है इसके लिए भी पूरी तरह से सरकार जिम्मेदार है और अभी जो शिक्षा विभाग में सुधार करने का जो कार्यक्रम चलाया जा रहा है वह भी गलत है जो अफशाही को बढ़ावा दे रहा है?

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