2023-09-26 14:35:03
नसीम कुरैशी यूपी, मुजफ्फरनगर, बुढाना, (नसीम कुरैशी)। 17वीं लोकसभा के गठन के लिए आम चुनाव देश में 11 अप्रैल से 19 मई 2019 के बीच 7 चरणों में हुये थे। चुनाव परिणाम 23 मई 2019 को घोषित हुये थे। जिसमें भाजपा ने 303 सीटों पर जीत हासिल की थी और पूर्ण बहुमत बनाया था। भाजपा गठबंधन ने 353 सीटें जीती थी। अब 5 साल होने को हैं और लोकसभा चुनाव में 7 माह का समय भी नहीं रहा। इसके लिए राजनीतिक दलों ने अपने अपने हिसाब से लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरु कर दी हैं। अब हम आते हैं उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर की मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर जिसके सांसद वर्तमान में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान हैं। जो इस सीट से लगातार दूसरी बार सांसद बने हैं मगर इस बार डाक्टर संजीव बालियान के लिए इस सीट पर हैट्रिक लगाना बहुत ही मुश्किल है। इसकी वजह साफ है 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा 6 सीटों में से 4 सीटें हार गई थी। कुल 2 सीटें जीती थी फिर खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ तो ये सीट भी भाजपा के हाथ से निकल गयी। अब सिर्फ इस जिले में भाजपा के पास शहर विधानसभा सीट ही बची है। जिसके विधायक कपिल देव अग्रवाल हैं। रही सही कसर हाल में संपन्न निकाय चुनाव ने पूरी कर दी। जिसमें भाजपा को जिले की 10 नगरपालिकाएं व नगर पंचायत में से मात्र 1 सीट पर ही जीत मिल सकी। इसलिए मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। भाजपा इस सीट को खोना नहीं चाहेगी और इसको जीतने के लिए कोई भी निर्णय लेने से नहीं हिचकेगी। ये भी सच है कि अगर इस सीट पर प्रत्याशी न बदला गया तो मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर परिणाम खतौली उपचुनाव जैसा ही रहने की संभावना है। भाजपा के उच्च नेतृत्व को ये मालूम है कि 2014 के चुनाव के बाद से वर्तमान सांसद एवं केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान की लोकप्रियता तेजी से घटी है। पार्टी को ये भी मालूम है जहां 2014 में संजीव बालियान 4 लाख 10 हजार मतों से चुनाव जीते थे वहीं 2019 में मात्र 5 हजार वोटो से चुनाव जीत पाए। 2019 के बाद कई घटनाक्रमों के चलते जिनमें दिल्ली बॉर्डर पर 13 माह चला किसानों का आंदोलन, महिला खिलाड़ियों का जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन और उसमें वेस्टर्न यूपी व हरियाणा की खापों की बढ़ चढ़कर भागीदारी आदि इस तरह के कई प्रश्न हैं जिससे पार्टी के लिए जिले में मतदाताओं को साधने की चुनौती रहेगी। जिले में गांवों की चौपालों, हुक्का बैठकों व शहर कस्बों में चाय की दुकानों पर चुनाव को लेकर चर्चा होने लगी है और लोग ये भी कहने लगे हैं कि भाजपा 2024 का चुनाव जीतने के लिए कोई नया चेहरा भी चुनाव में उतार सकती है। जैसा कि हाल ही में पार्टी द्वारा आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट का खुलासा करके कई वर्तमान सांसदों के टिकट कटने का संकेत भी दिया गया है। जिसमें मुजफ्फरनगर के वर्तमान सांसद व केंद्र में राज्यमंत्री संजीव बालियान का भी नाम है। ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 पर लोगों का ध्यान जाना स्वाभाविक है क्योंकि मुजफ्फरनगर जिला राजनीतिक दृष्टि से क्रांतिकारी जिला माना जाता है और यहां की राजनीतिक फिजा का असर आसपास के जिलों पर भी पड़ता है। ऐसे में पार्टी सोच समझकर ही टिकट देगी। यदि सर्वों में वर्तमान सांसद से लोगों की नाराजगी भाजपा आलाकमान महसूस कर रहा है तो लोगों का मानना है कि जिले में पार्टी चेहरा बदल सकती है। पार्टी के सामने नए चेहरे पर विचार करना भी मुश्किल भरा काम रहेगा क्योंकि उसे एक तरफ किसानों को अपने पक्ष में करने के साथ साथ ऐसे उम्मीदवार का चयन करना रहेगा जिसकी सजातीय स्वीकार्यता के अलावा बाकी सर्वसमाज में भी पकड़ हो। भाजपा नेतृत्व ये भी जानता है कि 2024 का मुकाबला इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी से होगा जो आसान नहीं रहेगा। जिसके लिए भाजपा को ऐसे चेहरे की तलाश रहेगी जो सभी अनिवार्य बिंदुओं पर खरा उतरकर पार्टी को जीत तक पहुंचा सके। भाजपा के पास वैसे तो जिले स्तर पर वरिष्ठ नेताओं के कई चेहरे हैं मगर आजकल यशपाल बालियान का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। बुढाना विधानसभा क्षेत्र के गांव सोरम के निवासी यशपाल बालियान पहले अधिकारी रह चुके हैं और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में आए और राजनीति में आने के बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे निरंतर क्षेत्र में जनता की सेवा में लगे हैं। वैसे इस लोस सीट के निर्णायक मतदाता मुस्लिम या जाट रहे हैं। यशपाल बालियान ऐसे व्यक्ति है जिनकी छवि ईमानदार व साफ नेताओं में गिनी जाती है और मुस्लिम वोट बैंक भी लिए हुए हैं। कुल मिलाकर भाजपा की मुज़फ्फरनगर में डगमगा रही नैय्या को सिर्फ यशपाल बालियान ही पार लगा सकते हैं और वे वर्तमान में टिकट की दौड़ में भी हैं। गत दिनों जब यशपाल बालियान एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत सिसौली गये तो उनको चौधरी नरेश टिकैत ने हाथों हाथ लिया। भाजपा टोली को अपने घर की मिट्टी चावल बड़ी आत्मिकता से दिए। पिछले एक दशक से राजनीतिक क्षेत्र में काम करने के बाद भी उनका किसी समाज में विरोध नहीं है और वे हर मुश्किल में लोगों के साथ खड़े रहते हैं। यदि कोई काम उनके संज्ञान में आता है या कोई पीड़ित उनसे न्याय की गुहार लगाता है तो वे उसे सच्चे मन से लगकर उसको राहत दिलाते हैं। ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में यशपाल बालियान की दावेदारी और मजबूत दिखाई देगी। चेहरा बदलने पर भाजपा अपने प्रतिद्वंदी प्रत्याशियों पर भारी पड़ती नजर आएगी और सीट जीती जा सकेगी। जिसका लाभ भाजपा को वेस्टर्न यूपी की अन्य सीटों पर भी मिलेगा क्योंकि मुजफ्फरनगर राजनैतिक रूप से क्रांतिकारी जिला है और यहां पार्टी पक्ष में बने माहौल का लाभ अन्य सीटों पर भी मिलेगा।