2023-07-12 11:58:59
- के. पी. मलिक, लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं
आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा एनडीए का कुनबा बढ़ाने में लगी हुई है। उसी के तहत यूपी में रालोद में भी भाजपा संभावनाओं की तलाश कर रही है। अभी भले ही रालोद का गठबंधन समाजवादी पार्टी से है, लेकिन आने वाले समय में भाजपा के साथ रालोद के गठबंधन की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।
कई दिन से मीडिया में चल रही भाजपा-रालोद गठबंधन की खबरों के बाद, पार्टी के करीब 70 से 80 फ़ीसदी मतदाता, नेता और पदाधिकारी रालोद के इस फैसले का स्वागत करते हैं। क्योंकि रालोद के नेता और कार्यकर्ता सपा प्रमुख अखिलेश यादव के जयंत के प्रति व्यवहार को लेकर बहुत सहज नहीं हैं। हालांकि पार्टी में कुछ संख्या उन लोगों की भी है जो रालोद के भाजपा के साथ गठबंधन को ठीक नहीं समझते और भाजपा के साथ जाने के पक्ष में भी नहीं हैं। लेकिन मेरा मानना है कि उनकी संख्या सीमित है।
दरअसल रालोद यूपी में भी भाजपा के साथ गठबंधन में पहले भी रह चुकी है। और इसमें कोई दो राय नहीं है कि जब जब भाजपा और रालोद का गठबंधन हुआ है तो राजनीतिक नतीजे बहुत अच्छे रहे हैं। जबकि पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में रालोद को सपा-बसपा गठबंधन में केवल तीन सीटें ही मिली थीं। इनमें से कोई भी सीट वह जीत नहीं पाई थी। यही वजह है कि आगामी लोकसभा चुनाव करीब आता देख भाजपा ने रालोद में अपनी नई संभावनाओं पर काम शुरू कर दिया है। जोकि रालोद के लिए स्वर्णिम अवसर माना जा रहा है।
बहरहाल मेरा मानना है कि जयंत चौधरी को समाज हित, किसान हित और क्षेत्र हित को देखते हुए तत्काल इस फैसले पर विचार करते हुए उनको केंद्र में कृषि मंत्री पद की मांग करें। उसके बाद एक दशक से लटके हुए जाट आरक्षण, देश के किसानों के लिए एमएसपी, किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के लिए भारत रत्न और जहां पर चौधरी चरण सिंह व चौधरी अजीत सिंह की आत्मा बसती है, उस सरकारी बंगले 12 तुगलक रोड को लेने की बात करते हुए, भाजपा के साथ से सहर्ष गठबंधन करना चाहिए। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भी रालोद को भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन के तहत सत्ता में भागीदारी करनी चाहिए।