बूँदबूँद में सीख

इस धरती पर हैं बहुत, पानी के भंडार।
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2025-03-21 16:15:45

इस धरती पर हैं बहुत, पानी के भंडार। पीने को फिर भी नहीं, बहुत बड़ी है मार॥ ●●● जल से जीवन है जुड़ा, बूँद-बूँद में सीख। नहीं बचा तो मानिये, मच जाएगी चीख॥ ●●● अगर बचानी ज़िंदगी, करें आज संकल्प। जल का जग में है नहीं, कोई और विकल्प॥ ●●● धूप नहीं, छाया नहीं, सूखे जल भंडार। साँसे गिरवी हो गई, हवा बिके बाज़ार॥ ●●● आये दिन होता यहाँ, पानी ख़र्च फिजूल। बंद सांस को ख़ुद करें, बहुत बड़ी है भूल॥ ●●● जो भी मानव ख़ुद कभी, करता जल का ह्रास। अपने हाथों आप ही, तोड़े जीवन आस। ●●● हत्या से बढ़कर हुई, व्यर्थ गिरी जल बूँद। बिन पानी के कल हमीं, आँखें ना ले मूँद॥ ●●● नदियाँ सब करती रहें, हरा-भरा संसार। होगा ऐसा ही तभी, जल से हो जब प्यार॥ ●●● पानी से ही चहकते, घर-आँगन-खलिहान। धरती लगती है सदा, हमको स्वर्ग समान॥ ●●● बाग़, बगीचे, खेत हों, घर या सभी उद्योग। जीव-जंतु या देव को, जल बिन कैसा भोग॥ ●●● पानी है तो पास है, सब कुछ तेरे पास। धन-दौलत से कब भला, मिट पाएगी प्यास॥ ●●● जल से धरती है बची, जल से है आकाश। जल से ही जीवन जुड़ा, सबका है विश्वास॥ ●●● अगर बचानी ज़िंदगी, करें आज संकल्प। जल का जग में है नहीं, कोई और विकल्प

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