सरकार का पौधरोपण में कीर्तिमान, लेकिन देखभाल रामभरोसे

जैव विविधता को पहुंचाई जा रही क्षति को ध्यान में रखते हुए योगी आदित्यनाथ बीते छह साल से प्रदेश में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान को शीर्ष प्राथमिकता पर रखे हुए हैं। मुख्यमंत्री की मंशा को ध्यान में रखते हुए शनिवार को प्रदेश में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण महाभियान 2023 चलाया गया।
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2023-07-27 14:03:50

- के. पी. मलिक

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर्यावरण संरक्षण को लेकर बेहद संवेदनशील हैं। दुनियाभर में बढ़ते मरुस्थलीकरण के खतरे, पर्यावरण ह्रास और जैव विविधता को पहुंचाई जा रही क्षति को ध्यान में रखते हुए योगी आदित्यनाथ बीते छह साल से प्रदेश में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान को शीर्ष प्राथमिकता पर रखे हुए हैं। मुख्यमंत्री की मंशा को ध्यान में रखते हुए शनिवार को प्रदेश में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण महाभियान 2023 चलाया गया। इस दौरान राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने छाता मथुरा में जबकि, सीएम योगी ने बिजनौर और मुजफ्फरनगर में गंगा किनारे पौधरोपण कर इस महाभियान का शुभारंभ किया।

सरकार के मुताबिक सभी मंत्रियों ने भी अलग-अलग जिलों में क़रीब 30 करोड़ से अधिक पौधे रोपित किये गये, जो कि सरकार के लक्ष्य 30 करोड़ से कई लाख से भी अधिक है। वृक्षारोपण महाभियान 2023 को मिली अप्रत्याशित सफलता के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे नए भारत के नए उत्तर प्रदेश में पौधरोपण लोकपर्व बताते हुए कहा कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उत्तर प्रदेश में आज एक दिन में 30 करोड़ से अधिक पौधरोपण का कीर्तिमान बनाया गया है। माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः के भाव को आत्मसात कर सभी 18 मंडलों-75 जनपदों में अपूर्व उत्साह-उमंग-उल्लास के साथ जन-जन ने इस पुनीत कार्य में सहभाग किया गया। दरअसल इस प्रकार का प्रयास आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ-समृद्ध-हरित परिवेश प्रदान करने में सहायक होगा। सीएम योगी ने इस अभिनंदनीय योगदान के लिए सभी जनप्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संगठनों, सामाजिक संगठनों तथा शासन-प्रशासन सहित समस्त प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई देते हुए उनका आभार व्यक्त किया।

यूपी सरकार द्वारा हरीतिमा अमृत वन नामक एक ऐप 3.1 बनाई गई है जिस पर रियल टाइम अपडेट मिलता रहेगा। प्रदेश में चल रहे वृक्षारोपण महाभियान 2023 के अंतर्गत वन भूमि, रक्षा, रेलवे की भूमि, ग्राम पंचायत एवं सामुदायिक भूमि, एक्सप्रेस वे, सड़क, नहर, रेल पटरी के किनारे। विकास प्रधिकरण, औद्योगिक परिसर, चिकित्सा संस्थान, शिक्षण संस्थान की भूमि, अन्य राजकीय भूमि, कृषकों की निजी भूमि, नागरिकों द्वारा निजी परिसर में बड़े स्तर पर पौधरोपण किया जा रहा है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सबसे अहम बात है ये कि अभियान को पूरी पारदर्शिता के साथ संपन्न कराने के लिए योगी सरकार ने एण्ड्रायड आधारित हरीतिमा अमृत वन मोबाइल एप वर्जन 3.1 विकसित किया है। सरकार का मानना है कि पिछली सरकारों की तरह पौधरोपण अभियान केवल कागजी खानापूर्ति तक सीमित ना रहे, बल्कि इसको लेकर पूरी पारदर्शिता और पौधों की प्रभावी मॉनीटरिंग की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए। यही कारण रहा कि इस साल पौधों की जियो टैगिंग की मुकम्मल व्यवस्था की गई है। साथ ही वन विभाग ने भी टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग किया जा रहा है।

किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सवित मलिक का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार सभी जनपदों में पौधारोपण का कार्य कर कीर्तिमान बनाने की बात कर रही है अच्छी बात है पेड़ लगने चाहिए वृक्षारोपण होना चाहिए, किसान तो हमेशा पेड़ पौधे लगता ही है। लेकिन वृक्षारोपण के नाम पर जो खेल उत्तर प्रदेश में चल रहा है सरकार को इसकी गंभीरता से जांच करानी चाहिए। मेरा दावा है कि साल 2017 से यह पेड़ लगाने की जो स्कीम चलाई जा रही है, उसको क़रीब 6 वर्ष हो गए हैं करीब 5 करोड़ 72 लाख से शुरू होकर यह स्कीम 35 करोड़ पार कर चुकी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भाजपा की योगी सरकार के आने के बाद साल 2017 में 5.72 करोड़, 2018 में 11.77 करोड़, 2019 से 22.60, साल 2020 में 25.87 करोड़, 2021 में 30.53 करोड़, 2022 में 35.49 करोड़ और 2023 में अभी दावे के मुताबिक क़रीब 30 करोड़ से अधिक पौधे लगाने की बात हो रही है।

जानकारी के मुताबिक सवाल यह है कि उनकी देखभाल करने का जिम्मा आज तक किसी को नहीं सौपा गया। वन मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक और सभी अधिकारी पेड़ लगाते हैं और फोटो खिंचवाते हैं। चार दिन बाद वह पेड़ कहां चला जाता है। इसकी परवाह किसी को नहीं है। आप अगर पेड़ लगा रहे हैं तो उसकी देखभाल का जिम्मा भी होना चाहिए। जैसे किसान अगर कोई पेड़ लगता है तो लगातार उसकी सुरक्षा करता है। उसको पानी देता है, उसकी बाड भी बनाने का काम करता है। मैं उत्तर प्रदेश सरकार से जानना चाहता हूं पिछले 6 सालों में अरबो पेड़ लगाए अभी तक वह कितने पेड़ जिंदा हैं। यह आंकड़ा भी उत्तर प्रदेश सरकार प्रस्तुत करने का काम करें। वृक्षारोपण में भी भ्रष्टाचार की बू आ रही है। मेरी मुख्यमंत्री से अपील है कि पिछले 6 सालों में लगाए गए पेड़ों का आंकडे भी सरकार के पास है और कितने पेड़ अभी जीवित है। उनका आंकड़ा भी सरकार की ओर से प्रदेश की जनता को देने का काम करना चाहिए।

दरअसल प्रदेश की सत्ता संभालते ही पर्यावरण को लेकर गंभीर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे अधिक जोर प्रदेश की हरितिमा बढ़ाने पर दिया। इसी का नतीजा है कि साल 2022-23 तक यूपी में कुल 136.98 करोड़ पौधे रोपने का रिकॉर्ड कायम किया है।यही कारण है कि भारतीय वन सर्वेक्षण कि रिपोर्ट के अनुसार यूपी में वनाच्छादन एवं वृक्षाच्छादन क्षेत्र में खासा इजाफा हुआ है। जहां वनाच्छादन में कुल 417 वर्ग किमी यानि 0.18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं वृक्षाच्छादन में अबतक 377 वर्ग किमी यानि 0.16 फ़ीसदी की वृद्धि रिकॉर्ड की गई है। सरकार के मुताबिक प्रदेश के संपूर्ण हरित क्षेत्र में वृद्धि की बात करें तो 9.23 फीसद की कुल वृद्धि के साथ ही इसमें 794 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हो चुकी है। पौधरोपण महाभियान का ही नतीजा है कि प्रदेश के हरित क्षेत्रफल में ना सिर्फ वृद्धि दर्ज की गई है, बल्कि वृक्षों के समुचित संरक्षण के फलस्वरूप वन्य जीवों की संख्या में भी इजाफा हुआ है।

प्रदेश में राष्ट्रीय पशु बाघ की संख्या विगत पांच साल में 118 से बढ़कर 173 हो गयी है। इसी प्रकार हाथियों की संख्या भी 265 से बढ़कर 352 हो गयी है। यही नहीं राज्य पक्षी सारस की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विगत पांच वर्षों में सारस की संख्या 13 हज़ार 670 से बढ़कर 17 हज़ार 586 हो गयी है। योगी सरकार प्रदेश में विभिन्न प्रजातियों के पौधों को रोपित करने पर विशेष फोकस कर रही है, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन को खत्म करने के साथ ही समावेशी विकास की अवधारणा को भी बल प्रदान किया जा सके। इसके तहत सागौन, शीशम, जामुन, अर्जुन, अमरूद, सहजन, आंवला, नीम और बांस जैसे वृक्षों को रोपने पर सबसे ज्यादा बल दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश में सबसे अधिक औद्योगिक एवं इमारती वृक्षों को लगाने का कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा फलदार, औषधीय एवं सुगंधित, पर्यावरणीय और चारा, शोभाकार एवं अन्य पौधों को प्रदेश के हर हिस्से में रोपित किया गया है।

(लेखक दैनिक भास्कर के राजनीतिक संपादक हैं)

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