जलप्रलय संवेदनशीलता डॉ मोनिका रघुवंशी

बाढ़ का खतरा बाढ़ की तीव्रता, जैसे बाढ़ की गहराई, वेग और अवधि पर निर्भर करता है
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2023-09-07 17:26:34

बाढ़ का खतरा बाढ़ की तीव्रता, जैसे बाढ़ की गहराई, वेग और अवधि पर निर्भर करता है। भौतिक, सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कारक बाढ़ की स्थितियों में खतरों के प्रभाव के प्रति समुदाय की संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं। जब बाढ़ का पानी लोगों और बुनियादी ढांचे पर भौतिक रूप से अतिक्रमण करता है, तो नुकसान और क्षति की सीमा के लिए लोगों और बुनियादी ढांचे की स्थिति निर्णायक होती है। शहरी बाढ़ के कारकों में जनसंख्या का उच्च घनत्व, बड़े अभेद्य क्षेत्र, जल निकासी प्रणालियों का अवरुद्ध होना, संपत्तियां व बुनियादी ढांचे आदि सम्मिलित हैं। बाढ़ की समस्याओं के समाधान के लिए क्षेत्र की भूगर्भिक स्थिति की व्यापक समझ और जल क्षेत्रों में सक्रिय द्रवगतिक्रिया विज्ञान का ज्ञान आवश्यक है। बाढ़ की समस्याओं के प्रबंधन में शामिल हैं: बाढ़ क्षेत्र क्षेत्रीकरण, नियोजित शहरीकरण, प्रचुर प्रवाह प्रणाली और झीलों की बहाली, नदियों और नालों की खुदाई, सड़कों और गांव की भूमि की ऊंचाई में वृद्धि, कुशल तूफान मल जल निकास प्रणाली , नदियों के किनारे मध्यवर्ती क्षेत्र स्थापित करना, संरक्षण जुताई, निर्माण स्थलों पर नियंत्रित अपवाह, सुशासन, जीवन शैली नियंत्रण, फसल समायोजन व बाढ़ चेतावनी प्रणाली। जलमग्न धरा (बाढ़ की मनोस्थिति में स्तुति) कल-कल जल बहता जलमग्न हुई है धरा, किसी के मुख से ऊफ है निकलती किसी मुख से आह, क्षुधा से बिलख रहे हैं बालक सिसक रही हैं माँ, आके बचालो अपनी रचना हो जाएंगे तबाह, हा-हा-कार मचा धरती पर कहाँ हो मेरी माँ? तड़पन देखी न जाय किसी की, सुनी न जाय आह, हम सब मिलकर करें प्रार्थना आओ जगदम्बा: मीरा झा

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